वसंत पंचमी पर बन रहा महासिद्ध योग, सभी मनोकामनाएं होंगी पूरी

वसंत पंचमी पर बन रहा महासिद्ध योग, सभी मनोकामनाएं होंगी पूरी

मुरादाबाद/अमृत विचार। ज्ञान, विद्या, वाणी एवं कला की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती की आराधना का पर्व वसंत पंचमी पांच फरवरी को मनाया जाएगा। मान्यता है कि उनका प्राकट्य इस दिन हुआ था। वसंत पंचमी के साथ ही ऋतुराज वसंत का भी आगमन होता है। छह फरवरी को दोपहर से पूर्व ही पंचमी समाप्त हो रही है। …

मुरादाबाद/अमृत विचार। ज्ञान, विद्या, वाणी एवं कला की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती की आराधना का पर्व वसंत पंचमी पांच फरवरी को मनाया जाएगा। मान्यता है कि उनका प्राकट्य इस दिन हुआ था। वसंत पंचमी के साथ ही ऋतुराज वसंत का भी आगमन होता है। छह फरवरी को दोपहर से पूर्व ही पंचमी समाप्त हो रही है। इसलिए पांच फरवरी को ही पर्व मनाया जाएगा।

इस दिन मां सरस्वती की विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर भक्त मां को प्रसन्न करेंगे। इस दिन उत्तराभाद्रपद नक्षत्र सायं सात बजकर पांच मिनट तक है। इसके बाद रेवती नक्षत्र तथा सिद्ध योग रात आठ बजकर 44 मिनट तक है। प्रवर्धमान नामक महाऔदायिक योग भी है। चंद्रमा की स्थिति मीन राशि पर है। राशि स्वामी बृहस्पति होने से समस्त धार्मिक क्रिया-कलापों के लिए यह दिन पूर्ण प्रशस्त रहेगा। माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को यह पर्व हर्षोल्लास से मनाया जाता है। इस दिन से प्रकृति में कई तरह के परिवर्तन होने लगते हैं। मौसम सुहाना होना प्रारंभ हो जाता है। गर्मी का एहसास होने लगता है। इस बार प्रवर्धमान नामक महाऔदायिक योग में पंचमी होने के कारण भक्तों के लिए अत्यंत फलदायी साथ मनोकामना पूर्ण करने वाला है।

तिथि और मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य पंडित केदार मुरारी ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि, पांच फरवरी को तड़के 3.49 बजे से रविवार को प्रातः 3.49 बजे तक रहेगी। चार फरवरी को 7:10 बजे से पांच फरवरी को शाम 5:40 तक सिद्धयोग रहेगा। पांच फरवरी को शाम 5.41 बजे से अगले दिन छह फरवरी को शाम 4:52 बजे तक साध्य योग रहेगा। इसके अलावा इस दिन दिन रवि योग का सुंदर संयोग भी बन रहा है। ऐसे में ये त्रिवेणी योग छात्रों के लिए विशेष शुभ सिद्ध होंगे।

यह है पूजन विधि
इस दिन प्रात: काल स्नानादि कर पीले वस्त्र धारण करें। मां सरस्वती की प्रतिमा को सामने कलश स्थापित करें। इसके बाद माता सरस्वती और भगवान गणेश व नवग्रह की विधि-विधान से पूजा करें। प्रसाद के रुप में खीर अथवा दुध से बनी मिठाइयां चढ़ाएं। माता को श्वेत फूल अर्पण करें। विद्यार्थी मां सरस्वती की पूजा कर जरुरतमंद बच्चों को दान करें। संगीत से जुड़े व्यक्ति अपने साज पर तिलक लगाकर मां की आराधना करें।

इस दिन लगाए जाने वाले भोग
इस दिन के लिए पीले रंग का विशेष महत्व माना गया है। वसंत पंचमी के दिन पीले फूल, पीले मिष्ठान अर्पित करना शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि देवी सरस्वती को पीला रंग बहुत प्रिय है। इस दिन पीले वस्त्र पहनने और भेंट शुभ होता है।

पीले रंग का है बहुत महत्व
पंडित नारायण जोशी ने बताया कि वसंत पंचमी पर पीला रंग के उपयोग का महत्व है। क्योंकि इस पर्व के बाद शुरू होने वाली बसंत ऋतु में फसलें पकने लगती हैं और पीले फूल भी खिलने लगते हैं। इसलिए इस पर्व पर पीले रंग के कपड़े और पीला भोजन करने का बहुत ही महत्व है। पीले रंग का महत्व इसलिए भी बताया गया है, क्योंकि यह समृद्धि, ऊर्जा, प्रकाश और आशावाद का प्रतीक है। इसलिए इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनते हैं, व्यंजन बनाते हैं।

मांगलिक कार्य एवं विवाह मुहूर्त शुभ
वसंत पंचमी तिथि को विवाह के लिए अबूझ मुहूर्त भी माना गया है। इसी वजह से इस दिन बड़ी संख्या में शादियां होती हैं। इसके अलावा मुंडन समारोह, यज्ञोपवीत, गृह प्रवेश, वाहन खरीदना आदि शुभ कार्य भी किए जाते हैं।

विद्यारंभ संस्कार के लिए शुभ दिन
कथाव्यास धीरशांत दास ने बताया कि पौराणिक मान्यता के अनुसार गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि छह ऋतुओं में वसंत ऋतुराज के रूप में पूजनीय है। वसंत पंचमी का दिन लेखन कार्य करने के लिए विशेष होता है। इस दिन विद्या की देवी सरस्वती का दिन होने के कारण उनकी विशेष पूजा की जाती है। विद्यारंभ संस्कार का समारोह भी इस तिथि को किया जाता है।

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