माघ नवरात्रि 2022: साल की पहली गुप्त नवरात्रि शुरू, ऐसे करें मां दुर्गा की अराधना

माघ नवरात्रि 2022: साल की पहली गुप्त नवरात्रि शुरू, ऐसे करें मां दुर्गा की अराधना

पंचांग के अनुसार प्रथम चैत्र मास में पहली वासंतिक नवरात्रि, चौथे मास यानि कि आषाढ़ मास में दूसरी नवरात्रि, आश्विन मास में तीसरी यानि शारदीय नवरात्रि और ग्यारहवें मास यानि माघ मास में चौथी नवरात्रि आती है। गुप्त नवरात्रि पर मां दुर्गा के दस महाविद्या स्वरूपों की पूजा की जाती है। गुप्त नवरात्रि 2 फरवरी से …

पंचांग के अनुसार प्रथम चैत्र मास में पहली वासंतिक नवरात्रि, चौथे मास यानि कि आषाढ़ मास में दूसरी नवरात्रि, आश्विन मास में तीसरी यानि शारदीय नवरात्रि और ग्यारहवें मास यानि माघ मास में चौथी नवरात्रि आती है। गुप्त नवरात्रि पर मां दुर्गा के दस महाविद्या स्वरूपों की पूजा की जाती है। गुप्त नवरात्रि 2 फरवरी से शुरू होकर 10 फरवरी को समाप्ता होगी। गुप्त नवरात्रि पर दो शुभ योग रवियोग और सर्वार्थसिद्धि योग भी बन रहे हैं।

होती है विशेष पूजा
गुप्त नवरात्रि पर दसमहाविद्याओं की पूजा की जाती है। मां कालिके, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता चित्रमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धूम्रवती, माता बगलामुखी, मातंगी, कमला देवी की पूजा की जाती है। माघ माह के गुप्त नवरात्रि प्रतिपदा तिथि 01 फरवर 2022 को सुबह 11:15 बजे शुरू होगी और 02 फरवरी बुधवार को सुबह 08:31 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के हिसाब से व्रत की शुरुआत 2 फरवरी 2022, दिन बुधवार को होगी। घट स्थापना शुभ मुहूर्त- सुबह 07 बजकर 10 मिनट से सुबह 8 बजकर 30 मिनट तक रहेगा. अति शुभ समय 08:02 मिनट तक है।

विशेष लाभ होगा
इस बार 19 वर्षों बाद गुप्त नवरात्र में राहु अपनी मित्र राशि वृषभ में स्थित है। इससे पहले यह स्थिति 2 फरवरी 2003 में बनी थी, जब गुप्त नवरात्र की शुरुआत में राहु के वृषभ राशि में रहते हुए हुई थी। वहीं इस बार तो सूर्य और शनि भी मकर राशि में मौजूद हैं और मकर राशि का स्वामित्व शनि को प्राप्त है। ऐसे में सूर्य व शनि के एक साथ एक ही राशि में होने के चलते तंत्र क्रियाएं सुगमता से होती हैं। जिसका प्रभाव गुप्त नवरात्र में साधना करने वाले लोगों को प्राप्त होगा।

साधकों के लिए खास
गुप्त नवरात्रि को तंत्र-मंत्र को सिद्ध करने वाली नवरात्रि माना गया है. तंत्र साधना वालों के लिए ये नौ दिन विशेष रूप से फलदायी माने जाते हैं. इस नवरात्रि में तंत्र जादू-टोना सीखने वाले साधक कठिन भक्ति कर माता को प्रसन्न करते हैं। मान्यता है कि इस नवरात्रि में की जाने वाली विशेष पूजा से तमाम कष्ट दूर हो जाते हैं। गुप्त नवरात्रि की पूजा भी गुप्त रूप से की जाती है। पूजा, मंत्र, पाठ और प्रसाद सभी चीजों को गुप्त रखा जाता है, तभी साधना फलित होती है।

पूजा विधि
गुप्त नवरात्रि के दिन साधक को प्रात:काल जल्दी उठकर स्नान-ध्यान करके देवी दुर्गा की तस्वीर या मूर्ति को एक लाल रंग के कपड़े में रखकर लाल रंग के वस्त्र या फिर चुनरी आदि पहनाकर रखना चाहिए। इसके साथ एक मिट्टी के बर्तन में जौ के बीज बोना चाहिए। जिसमें प्रतिदिन उचित मात्रा में जल का छिड़काव करते रहना होता है।

मंगल कलश में गंगाजल, सिक्का आदि डालकर उसे शुभ मुहूर्त में आम्रपल्लव और श्रीफल रखकर स्थापित करें। फल-फूल आदि को अर्पित करते हुए देवी की विधि-विधान से प्रतिदिन पूजा करें। अष्टमी या नवमी के दिन देवी की पूजा के बाद नौ कन्याओं का पूजन करें और उन्हें पूड़ी, चना, हलवा आदि का प्रसाद खिलाकर कुछ दक्षिण देकर विदा करें। गुप्त नवरात्रि के आखिरी दिन देवी दुर्गा की पूजा के पश्चात् देवी दुर्गा की आरती गाएं। पूजा की समाप्ति के बाद कलश को किसी पवित्र स्थान पर विसर्जन करें।

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