लखनऊ: बर्खास्त फर्जी शिक्षकों से आसान नहीं वेतन वसूली, जानें क्यों?
लखनऊ। बेसिक शिक्षा परिषद में अधिकारियों की लापरवाही से तैनाती पाये फर्जी शिक्षकों ने 1400 करोड़ से अधिक राजस्व का नुकसान पहुंचाया है। तमाम तरह की जांच पड़ताल के बाद प्रदेश सरकार ने 1700 से अधिक शिक्षकों को बाहर का रास्ता तो दिखाया लेकिन अब इन शिक्षकों से वेतन की रिकवरी की प्रक्रिया कैसे होगी …
लखनऊ। बेसिक शिक्षा परिषद में अधिकारियों की लापरवाही से तैनाती पाये फर्जी शिक्षकों ने 1400 करोड़ से अधिक राजस्व का नुकसान पहुंचाया है। तमाम तरह की जांच पड़ताल के बाद प्रदेश सरकार ने 1700 से अधिक शिक्षकों को बाहर का रास्ता तो दिखाया लेकिन अब इन शिक्षकों से वेतन की रिकवरी की प्रक्रिया कैसे होगी इस बारे में किसी के पास जवाब नहीं है। इसके साथ ही ऐसे शिक्षकों की नियुक्ति में अधिकारियों की क्या भूमिका रही है, इस पर भी जांच होगी या नहीं इस बारे में भी उच्च अधिकारियों से लेकर शासन के अधिकारी तक मौन है।
इस मामले में करीब 1300 से अधिक शिक्षकों के खिलाफ नामजद एफआईआर भी हुई, लेकिन हकीकत में ये शिक्षक अब कहां और इनको जारी हुआ पैसा कैसे रिकवर होगा इस बारे में अधिकारियों के पास जवाब नहीं है। हालांकि विभागीय जानकारों का कहना है कि ऐसे शिक्षकों की संख्या 4500 के करीब है। वहीं बेसिक शिक्षा अधिकारियों का कहना है कि जिन शिक्षकों को चिन्हित किया गया उनको नोटिस दी गयी, नोटिस मिलते ही अधिकांश शिक्षक बीमारी का बहाना बनाकर छुट्टी पर चले गये, कई शिक्षक फरार भी हो गये हैं।
मंत्री ने भी दिया था वेतन रिकवरी का निर्देश
इस संबंध में पिछले साल बेसिक शिक्षा मंत्री स्वतंत्र प्रभार डॉ सतीश चन्द्र द्विवेदी ने बीते वर्ष नवंबर माह में बेसिक शिक्षा निदेशालय निशातगंज में एक बैठक भी आयोजित की थी। बैठक में बेसिक शिक्षा महानिदेशक विजय किरण आनंद, निदेशक डॉ सर्वेन्द्र विक्रम बहादुर सिंह, सचिव परिषद रूबी सिंह, अपर मुख्य सचिव शासन रेणुका सिंह समेत सभी अधिकारी शामिल हुए थे। इस बैठक में मंत्री ने निर्देश दिए थे कि सभी फर्जी शिक्षकों पर कार्रवाई की प्रक्रिया पूरी की जाये और इनसे वेतन रिकवरी की तैयारी की जाये। लेकिन अभी तक इसं संबंध में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
इन जिलों में चिन्हित हुए फर्जी शिक्षक
बांदा, बहराइच, सीतापुर, बाराबंकी, बलिया, बांदा, हमीरपुर, हाथरस, प्रतापगढ़, लखीमपुर, हरदोई, मेरठ, मुजफफरनगर, कुशीनगर, संतकबीर नगर, गोंडा, देवारिया, प्रयागराज व कानपुर देहात।
आगरा विश्वविद्यालय से भी थे बड़ी संख्या में डिग्री लेने वाले, इस तरह चली कार्रवाई
- एसआईटी ने 13 दिसंबर 2018 को खुलासा किया
- आगरा विवि के बीएड सत्र 2004-5 का था मामला
- एसआईटी की ओर से विभाग के अधिकारियों को सौंपी गयी थी सीडी
- एसआईटी ने 30 जनवरी 2018 को अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी
- एसआईटी के मुताबिक 3652 के प्रमाणपत्र फर्जी थे
- 1052 प्रमाण पत्रों के नंबरों में बढ़ोत्तरी की गयी थी।
- इस संबंध में 24 जून 2018 को सभी एडी बेसिक ने बैठक की
- बैठक के बाद कार्रवाई का निर्णय हुआ, और एसआईटी को पत्र दिया गया।
- लेकिन अब वेतन रिकवरी के लिए अधिकारियों के पास जवाब नहीं