हल्द्वानी: बनभूलपुरा के उन हजारों अस्थिर मतदाताओं से नेता मांग रहे स्थिर सरकार, जिनके कभी भी छिन सकते हैं आशियाने

सर्वेश तिवारी, हल्द्वानी। राशन कार्ड है, आधार कार्ड और बनभूलपुरा के हजारों लोग हल्द्वानी विधानसभा के पक्के मतदाता है, लेकिन अस्थिर। इन अस्थिर मतदाताओं से हल्द्वानी के नेता स्थिर सरकार चाहते हैं और इसकी बड़ी वजह ये है कि बनभूलपुरा में रहने वाले तकरीबन 48 हजार मतदाता किसी भी नेता की सियासत का भाग्य तय …
सर्वेश तिवारी, हल्द्वानी। राशन कार्ड है, आधार कार्ड और बनभूलपुरा के हजारों लोग हल्द्वानी विधानसभा के पक्के मतदाता है, लेकिन अस्थिर। इन अस्थिर मतदाताओं से हल्द्वानी के नेता स्थिर सरकार चाहते हैं और इसकी बड़ी वजह ये है कि बनभूलपुरा में रहने वाले तकरीबन 48 हजार मतदाता किसी भी नेता की सियासत का भाग्य तय कर सकते हैं।
हल्द्वानी की सियासत में बनभूलपुरा ने हमेशा अहम किरदार निभाया है। ये वही इलाका है, जिसकी बदौलत पिछली विधानसभा चुनाव में स्व.इंदिरा ह्रदयेश ने अपनी सीट बचाई थी। हालांकि ये दुर्भाग्य है कि बनभूलपुरा के लोग पिछले कुछ सालों से हाशिये पर हैं। इन्हें फिक्र अपने आवासों की है, जिनके छिनने का डर इन्हें हमेशा सताता है। जिस जमीन पर ये लोग रहते हैं, उस पर रेलवे अपना दावा करता है और बनभूलपुरा के लोग अपना।
वर्ष 2017 से रेलवे और बनभूलपुरा के लोगों के बीच विवाद निरंतर जारी है। वर्ष 2017 में रेलवे ने 4365 घरों पर नोटिस चस्पा किए और ये कहाकि जिस जमीन पर घर बने हैं, वो जमीन रेलवे की है। इसलिए जमीन को खाली करना होगा। इस पर रेलवे मंडल कार्यालय इज्जतनगर बरेली उत्तर प्रदेश में राज्य संपत्ति अधिकारी ने बनभूलपुरा के लोगों की सुनवाई शुरू की। जो तारीख पर नहीं हुए, उनके वाद निरस्त कर दिए गए और तमाम लोगों की सुनवाई अब भी जारी है। यहां गौर करने वाली बात यह है कि जिन 4365 घरों पर उजड़ने का खतरा मंडरा रहा है उन घरों में 30 हजार से ज्यादा लोग रहते हैं और इनमें से 60 प्रतिशत मतदाता हैं।
जिन लोगों को रेलवे ने नोटिस जारी किए थे, वो इंद्रानगर, आजादनगर, नई बस्ती, अंबेडकरनगर, किदवईनगर और गफूर बस्ती में रहते हैं। सबसे ज्यादा 1200 मकान इंद्रानगर पूर्वी और इतने ही नई बस्ती आजादनगर में हैं, जिन्हें जमीन खाली करने का नोटिस दिया गया है। जबकि इंद्रानगर पश्चिमी में करीब 750 सौ और अंबेडकरनगर के 150 घरों को खाली करने का नोटिस रेलवे ने दिया है।
खटाई में गई प्रधानमंत्री और इंद्रा आवास योजना
इस विवाद के दौरान जमीन शांति पूर्वक खाली कराने के लिए प्रशासन ने पहल जरूर की, लेकिन ये पहल अपने अंजाम तक नहीं पहुंची। पूरे मामले को बारीकि से जानने वाले शकील सलमानी ने बताया कि गफूर बस्ती के लोगों को गौलापार बसाने की योजना बनी और तय हुआ कि इन्हें इंद्रा आवास योजना के तहत घर दिए जाएंगे। हालांकि यह योजना धरातल पर आजतक नहीं उतरी। ऐसे ही बनभूलपुरा के लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना से घर देने की सिफारिश हुई और ये सिफारिश भी आज तक नहीं मानी गई।
तो राजपुरा, शीशमहल को नोटिस क्यों नहीं
लोगों का ये सवाल लाजमी है। लोगों का कहना है कि रेलवे ने सिर्फ बनभूलपुरा के लोगों को टारगेट कर नोटिस जारी किए। जबकि शहर और शहर से बाहर ऐसे तमाम इलाके हैं, जो रेलवे पटरी के किनारे बसे हुए हैं। इसमें शीशमहल, राजपुरा जैसे इलाके भी शामिल हैं। इसके अलावा हल्द्वानी-लालकुआं रोड पर रेलवे पटरी किनारे पूरी की पूरी बस्तियां बस चुकी हैं। अगर रेलवे के 800 फीट के नियम को सही माना जाएगा तो लाखों लोगों को इन इलाकों से उजाड़ना होगा।
45 के बजाय 800 फीट तक रेलवे ने ठोंका दावा
हल्द्वानी। बरेली में चल रहे वाद की पैरोकारी कर रहे शकील सलमानी ने गंभीर आरोप लगाए हैं। शकील का कहना है कि रेलवे अपनी पटरी से 45 फीट तक नियमत: दावा कर सकती है, लेकिन इन नियम को दरकिनार करते हुए बनभूलपुरा में रेलवे से 700 से 800 फीट तक अपना कब्जा बताकर नपाई की और नोटिस जारी कर दिए। जबकि नियमत: ये गलत है। उनका कहना है कि रेलवे यदि नियम के अनुसार अपनी जमीन अधिग्रहण करती है तो इसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं है।
हमेशा से कांग्रेस का गढ़ रहा है बनभूलपुरा
बनभूलपुरा हमेशा से कांग्रेस का गढ़ रहा है। वर्ष 2016 में रेलवे जमीन की पैमाइश कराई और बनभूलपुरा में खंबे गाड़ दिए गए। इस वर्ष प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और स्व.इंदिरा ह्रदयेश हल्द्वानी की विधायक। इंदिरा सरकार में वित्तमंत्री की भूमिका भी निभा रही थी। वर्ष 2017 में भाजपा की सरकार बनी। चूंकि ये इलाका कभी भाजपा का वोट बैंक नहीं रहा तो भाजपा ने कभी इस मुद्दे पर ध्यान भी नही दिया। बता दें कि इस मामले में साजिद खान बनाम सरकार का एक वाद सिविल कोर्ट में विचाराधीन है।