शहरी गैस आपूर्ति के लिए लगी बोलियों से 80,000 करोड़ रुपये के निवेश की उम्मीद

नई दिल्ली। देश के 61 भौगोलिक क्षेत्रों में शहरी गैस आपूर्ति का ढांचा खड़ा करने में करीब 80,000 करोड़ रुपये का निवेश होने की संभावना है जिससे बड़े पैमाने पर रोजगार अवसर भी पैदा होंगे। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस नियामकीय बोर्ड (पीएनजीआरबी) ने जम्मू, नागपुर, पठानकोट और मदुरै समेत 65 शहरी इलाकों में गैस आपूर्ति …
नई दिल्ली। देश के 61 भौगोलिक क्षेत्रों में शहरी गैस आपूर्ति का ढांचा खड़ा करने में करीब 80,000 करोड़ रुपये का निवेश होने की संभावना है जिससे बड़े पैमाने पर रोजगार अवसर भी पैदा होंगे। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस नियामकीय बोर्ड (पीएनजीआरबी) ने जम्मू, नागपुर, पठानकोट और मदुरै समेत 65 शहरी इलाकों में गैस आपूर्ति का ढांचा खड़ा करने के लिए हाल ही में बोलियां आमंत्रित की थी।
इन शहरों में गैस आपूर्ति ढांचा तैयार करने में करीब 80,000 करोड़ रुपये का निवेश होने की उम्मीद है। तेल एवं गैस क्षेत्र की इस नियामकीय संस्था ने अपने एक बयान में कहा है कि शहरी gas आपूर्ति का लाइसेंस देने के 11वें दौर की नीलामी में 65 भौगोलिक क्षेत्रों के लिए बोलियां आमंत्रित की गई थीं।
ये क्षेत्र 19 राज्यों एवं एक केंद्रशासित क्षेत्र के 215 जिलों में फैले हुए हैं। इन इलाकों में देश की शहरी आबादी का 26 प्रतिशत हिस्सा रहता है। पीएनजीआरबी ने कहा कि इस दौर में निवेशकों से काफी तगड़ी प्रतिक्रिया मिली है। इस दौर में 61 भौगोलिक क्षेत्रों के लिए 430 बोलियां लगाई गई हैं। इन बोलियों को 22 दिसंबर तक खोला जाएगा। इस दौर में 65 भौगोलिक क्षेत्रों के लिए बोलियां आमंत्रित की गई थीं लेकिन 61 क्षेत्रों के लिए ही बोलियां आई हैं।
नियामकीय संस्था ने कहा कि इससे शहरी gas आपूर्ति का मजबूत ढांचा खड़ा करने में मदद मिलेगी और यह गैस-आधारित अर्थव्यवस्था लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इससे 80,000 करोड़ रुपये से अधिक निवेश आएगा और रोजगार के भी अवसर पैदा होंगे।” फिलहाल पीएनजीआरबी देश के 228 भौगोलिक क्षेत्रों में गैस आपूर्ति व्यवस्था की देखरेख करता है।
देश के 27 राज्यों एवं केंद्रशासित क्षेत्रों में फैले इन भौगोलिक क्षेत्रों में करीब 70 फीसदी आबादी रहती है। इससे पहले शहरी गैस आपूर्ति लाइसेंसिंग के दसवें दौर में 50 भौगोलिक क्षेत्रों के विकास के लाइसेंस दिए गए थे। शहरी इलाकों में gas आपूर्ति को बढ़ावा देने की कोशिश असल में प्राकृतिक गैस का इस्तेमाल बढ़ाने के सरकारी प्रयासों का ही एक हिस्सा है। सरकार ऊर्जा उपभोग में प्राकृतिक गैस का हिस्सा 6.3 प्रतिशत से बढ़ाकर वर्ष 2030 तक 15 प्रतिशत तक ले जाना चाहती है।
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