बरेली: गांधी उद्यान को खत्म कर बना दिया पार्क

बरेली: गांधी उद्यान को खत्म कर बना दिया पार्क

बरेली, अमृत विचार। हर तरह के पेड़ों से आच्छादित रहने वाला गांधी उद्यान अब पेड़ों से खाली हो गया है। आम और लीची से लदे रहने वाले इस उद्यान में अब लीची के कुछ पेड़ ही रह गए हैं, जबकि आम के तमाम पेड़ों पर आरी चल चुकी है। हरियाली के दुश्मनों ने उद्यान को इतना …

बरेली, अमृत विचार। हर तरह के पेड़ों से आच्छादित रहने वाला गांधी उद्यान अब पेड़ों से खाली हो गया है। आम और लीची से लदे रहने वाले इस उद्यान में अब लीची के कुछ पेड़ ही रह गए हैं, जबकि आम के तमाम पेड़ों पर आरी चल चुकी है। हरियाली के दुश्मनों ने उद्यान को इतना खोखला कर दिया है कि अब यहां ठंडक के बजाए गर्माहट महसूस होती है। पहले यहां इतने ज्यादा पेड़ थे कि दिन में भी अंधेरा नजर आता था। यहां आने वाले लोग आम को छककर खाते थे फिर भी उद्यान से आम खत्म नहीं होते थे। 

उद्यान की दुर्दशा से परेशान लोग जनप्रतिनिधियों से आस लगाए हैं कि वे इस उद्यान को बचाने के लिए आगे आएं। 20 वर्षों से यहां आने वाले योग कमेटी के रमेश अग्रवाल बताते हैं कि यहां इतने पेड़ थे कि लोगों को धूप नहीं लगती थी। कोई ऐसा फल नहीं था जिसका पेड़ यहां न हो। आम लीची, जामुन, बड़हल के पेड़ तो असंख्य थे। अचानक बारिश में कहीं ठहरने की सुविधा नहीं थी, तब तत्कालीन मेयर डा. आईएस तोमर ने यहां शेड बनवाया था लेकिन अब पेड़ नहीं रह गए हैं।

मो. आलमगिर बताते हैं कि यहां कई पंप हैं, जिससे पौधों में पानी लगता था लेकिन अब ये चलते नहीं हैं। कर्मचारियों को हटा दिया गया है। जगह जगह पक्के निर्माण हो गए हैं। भूलभुलैया बना दी गई है। इसकी जरूरत नहीं थी। जिम्मेदारों ने यहां के उद्यान को खत्म कर दिया है। प्राकृतिक चीज को समाप्त करके यहां कंक्रीट निर्माण को तरजीह दी जा रही।

हरी भरी कमेटी के सदस्य अनिल वर्मा बताते हैं कि उद्यान का निजीकरण गंभीर समस्या है। यह नहीं होना चाहिए। प्रयागराज के एक पार्क के व्यावसायिक उपयोग पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी। लेकिन गांधी उद्यान में भूलभुलैया बनाई जा रही। उसे निजी हाथों में सौंपा गया है। अब उद्यान में सुबह नौ बजे के बाद गर्मी लगने लगती है, जबकि पहले यहां पेड़ों की संख्या इतनी ज्यादा थी कि लोगों को गर्मी महसूस नहीं होती थी।

हरी भरी कमेटी के सदस्य दाउद खां बताते हैं कि उद्यान में वालीबाल कोर्ट था। उसे उजाड़ दिया। डस्टबिन खत्म हो रहे हैं। शौचालय प्रयोग करने के लिए पैसे मांगे जाने लगे हैं। उद्यान को लीज पर देने का काम शुरू कर दिया गया है। कुछ दिनों में उद्यान में टहलने के लिए टिकट भी लगने लगेगा। उद्यान को बचाने के लिए जनप्रतिनिधियों को आगे आना होगा।

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