बरेली: 4 साल किया शोध, हर्बल दवाओं पर बैक्टीरिया क्यों प्रतिरोधी?, जानें

बरेली: 4 साल किया शोध, हर्बल दवाओं पर बैक्टीरिया क्यों प्रतिरोधी?, जानें

बरेली, अमृत विचार। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान का 10वां दीक्षांत समारोह मंगलवार को आयोजित किया जाएगा। दीक्षांत समारोह में आईवीआरआई की पूर्व पीएचडी की छात्रा रहीं डा. प्रसन्न वदना को माइक्रोबायोलॉजी में बेस्ट थिसिस अवार्ड दिया जाएगा। इस पुरस्कार को डा. डीआर उप्पल अवार्ड कहा जाता है, जो आईसीएआर के जवाहर लाल अवार्ड के …

बरेली, अमृत विचार। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान का 10वां दीक्षांत समारोह मंगलवार को आयोजित किया जाएगा। दीक्षांत समारोह में आईवीआरआई की पूर्व पीएचडी की छात्रा रहीं डा. प्रसन्न वदना को माइक्रोबायोलॉजी में बेस्ट थिसिस अवार्ड दिया जाएगा। इस पुरस्कार को डा. डीआर उप्पल अवार्ड कहा जाता है, जो आईसीएआर के जवाहर लाल अवार्ड के ही समान है। यह अवार्ड उन्हें हर्बल दवाओं के लिए बैक्टीरिया क्यों प्रतिरोधी हो जाते हैं, शोध पर काम करने के लिए दिया जा रहा है।

मूल रूप से पांडिचेरी निवासी डा. वदना ने वर्ष 2013 में आईवीआरआई में पीएचडी स्कॉलर के तौर पर इस प्रोजेक्ट पर प्रधान वैज्ञानिक डा. भोजराज सिंह के नेतृत्व में शोध शुरू किया था। प्रोजेक्ट के तहत स्यूडोमोनॉस नामक बैक्टीरिया हर्बल दवाओं व एंटीबायोटिक दवाओं के लिए क्यों प्रतिरोधी है, पर काम किया गया था। जहां उन्होंने करीब 4 साल लगातार काम करने के बाद इसके पीछे का कारण खोजा।

निमोनिया जैसी घातक बीमारी फैलाता है स्यूडोमोनॉस
स्यूडोमोनॉस बैक्टीरिया मानव में निमोनिया जैसी घातक बीमारी फैलाता है। साथ ही लीवर सिरोसिस, आंत्रशोथ तथा और भी अंगों में घातक बीमारी उत्पन्न करता है, जिसमें हार्ट फेलियर जैसी बीमारी भी होती है। इसके कारणों से कई बार लोगों की मौत भी हो जाती थी। इसी वजह से यह शोध कठिन होने के साथ-साथ महत्वपूर्ण भी था। पूर्व में संस्थान के एक वैज्ञानिक की स्यूडोमोनाॅस के अध्ययन के दौरान जान भी चली गई थी, जिससे स्यूडोमोनाॅस पर काम करने से लोग कतराते हैं। बावजूद इसके उन्होंने इस प्रोजेक्ट पर काम किया।

शोध के लिए बरेली जिला अस्पताल व पांडिचेरी अस्पताल से लिए नमूने
शोध के लिए बरेली जिला अस्पताल के ड्रेनेज व पांडिचेरी अस्पताल के ड्रेनेज से नमूने लेकर स्यूडोमोनाॅस एरोजिनोसा बैक्टीरिया को लैब में अध्ययन किया। शोध में बैक्टीरिया के एक बार में 1000 से ज्यादा म्यूटेंट तैयार किए गए। जिसमें दो बार ये फेल हो गई। जिसके बाद तीसरे प्रयास में 1300 म्यूटेंट को बनाया गया, जिसमें से तीन म्यूटेंट के अध्ययन से इस बैक्टीरिया के हर्बल दवाओं के लिए प्रतिरोधी होने का कारण पता लगा।

मैक्स-ए जीन से बैक्टीरिया पर नहीं होता है किसी दवा का असर
शोध के दौरान पता लगा कि मैक्स-ए नामक जीन के चलते इन बैक्टीरिया पर दवाओं का कोई असर नहीं होता है। मैक्स ए जीन ईफ्लेक्स पंप को एक्टिव करके बाहर फेंक देता है। हर्बल दवाओं के कंपोनेट मैक्स ए जीन के संपर्क में आने से ईफ्लेक्स पंप उत्प्रेरित हो जाता है। इससे ये बैक्टीरिया दवाओं के असर के लिए प्रतिरोधी हैं।

ऑरिगेनो और अजवाइन के तेल के प्रति स्यूडोमोनॉस बैक्टीरिया संवेदनशील होता है। शोध के दौरान पता लगा कि स्यूडोमोनॉस ऑरिगेनो और अजवाइन के तेल के प्रति संवेदनशील है। इसका प्रयोग करने पर पता लगा कि स्यूडोमोनॉस पर इस हर्बल का असर होता है।
क्योंकि इसमें कार्वाक्रोल कंपाउड होता है। वहीं, सिन्नामैल्डीहाइड कंपाउंड के चलते दालचीनी भी कम मात्रा में इस बैक्टीरिया पर असर करती है। परंतु यह बैक्टीरिया ज्यादातर एंटीबायोटिक दवाओं के लिए रेजिस्टेंट होते हैं और इनका एंटीबायोटिक से इलाज कठिन होने के चलते इस बैक्टीरिया को एस्केप ग्रुप के एक मुख्य बैक्टीरिया के तौर पर जाना जाता है।

अध्ययन में रहा इन लोगों का सहयोग
अध्ययन में संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक व जनपदिप रोग के विभागाध्यक्ष डा. भोजराज सिंह, डा. मोनिका भारद्वाज, डा. शिव वरन, डा. पवन कुमार आदि ने डा. वदना का सहयोग किया।

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