मुरादाबाद: दो बच्चों के मसौदे से विपक्षी दलों में तूफान, सत्ताधारी बोले-यही है जरूरी समाधान

मुरादाबाद, अमृत विचार। प्रदेश सरकार के दो बच्चों के कानून का मसौदा राजनीतिक गलियारे में भी तूफान मचा रहा है। राजनीतिक दलों में खलबली है। इस मुद्दे पर सत्ताधारी और विपक्ष की प्रतिक्रिया आमने-सामने है। भाजपाई और सपाई जनसंख्या विस्फोट को चुनौती मान रहे हैं। मगर कानून के मुद्दे पर सहमत नहीं हैं। अमृत विचार …
मुरादाबाद, अमृत विचार। प्रदेश सरकार के दो बच्चों के कानून का मसौदा राजनीतिक गलियारे में भी तूफान मचा रहा है। राजनीतिक दलों में खलबली है। इस मुद्दे पर सत्ताधारी और विपक्ष की प्रतिक्रिया आमने-सामने है। भाजपाई और सपाई जनसंख्या विस्फोट को चुनौती मान रहे हैं। मगर कानून के मुद्दे पर सहमत नहीं हैं।
अमृत विचार ने शुक्रवार को विधायक, मंत्री और सांसद से प्रस्तावित कानून के मसौदे पर बातचीत की। समाजवादी पार्टी के प्रतिनिधि इसे चुनावी स्टंट और समाज में विभाजन की रेखा खींचने वाला कानून बताते हैं। भारतीय जनता पार्टी के सदस्य इसे समय की मांग ठहराते हैं। कहते हैं यह देश के सामने बड़ी चुनौती है।
इसे जाति धर्म और निजी हित से ऊपर उठकर सोचने की जरूरत है। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता सांसद डॉ. एसटी हसन कहते हैं कि यह व्यवहारिक चुनौती है। अव्वल तो यह कि सरकार इसके नाम पर अब चुनावी माहौल बनाना चाहती है। मेरा सुझाव है कि 3 बच्चों का कानून सरकार बनाए।
शहर विधायक रितेश गुप्ता इसे समय की मांग ठहराते हैं। कहते हैं कि दो बच्चों का कानून अच्छा है और जरूरी है। जनसंख्या हमारे सामने बड़ी चुनौती है। प्रयास के बाद भी सरकारी संसाधन कम पड़ जा रहे हैं। जब आबादी घटेगी तो विकास का एक नया मॉडल तैयार होगा। उधर, मुरादाबाद देहात के सपा विधायक हाजी इकराम कुरैशी कहते हैं कि यह खुदाई में दखल है।
राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित कानून गलत है। पार्टी का इस सवाल पर क्या स्टैंड है? इस पर मुझे कुछ नहीं कहना। लेकिन, विधायक के रूप में मैं इसका खंडन करता हूं। विधायक कुरैशी का कहना है कि राज्य सरकार माइनॉरिटी को परेशान करने के लिए यह कानून बनाना चाहती है।
कुंदरकी के सपा विधायक हाजी रिजवान का मानना है कि राज्य सरकार के पास जनता को दिखाने के लिए कोई काम नहीं है। अब चुनाव नजदीक आ गया, तो समाज में बंटवारे की चाल के रूप में इस मुद्दे को उछाला जा रहा है। आबादी का विस्फोट रोका जाना चाहिए। लेकिन, चुनाव के चक्कर में यह शिगूफा उचित नहीं है।
ठाकुरद्वारा के विधायक नवाब जान खां का कहना है कि इस कानून से सरकार जनसंख्या नियंत्रण पर असर नहीं डालना चाहती। सरकार का काम है, चुनावी ध्रुवीकरण है। सपा विधायक कहते हैं कि जरूरत कानून का ही नहीं मानसिकता का है। जब तक किसी मुद्दे पर हम जनमानस तैयार नहीं करेंगे, तब तक कानून से कुछ होने वाला नहीं। बच्चे तो आत्मा और परमात्मा का उपहार हैं।
कांठ के भाजपा विधायक राजेश कुमार चुन्नू कहते हैं कि हम जनप्रतिनिधियों को सरकार के किसी कानून को स्वहित से ऊपर उठकर देखने की जरूरत है। आबादी के विस्फोट से धरती कम पड़ती जा रही है। सरकार ने इसका मसौदा तैयार किया है। हम इसका समर्थन करते हैं और अपील करते हैं कि समाज के हर लोगों को इसका सम्मान करना चाहिए।
मुरादाबाद- बरेली खंड शिक्षा क्षेत्र के विधान परिषद सदस्य डा. जयपाल सिंह व्यस्त कहते हैं कि विपक्षी दलों का यह कहना सही नहीं है कि सरकार चुनावी लाभ के लिए यह कानून लाने जा रही है। उन्होंने बताया कि 2018 से इस मसौदे को तैयार किया जा रहा है। सरकार की ओर से इसके लिए जनसंख्या नियंत्रण आयोग का गठन किया गया है। यह कानून समर्थ और सक्षम भारत के लिए बुनियादी जरूरत है। यह कानून क्रांतिकारी बदलाव लाएगा। सबको इसका समर्थन करना चाहिए। विरोध गलत है।
हमारे जनप्रतिनिधि और उनकी संतानें
डा. एसटी हसन, सांसद चार बच्चे तीन बेटियां एक बेटे
मंत्री पंचायती राज भूपेंद्र सिंह चौधरी, तीन बच्चे – एक बेटा, दो बेटियां
शहर विधायक, रितेश गुप्ता दो बच्चे – बेटा-बेटी
देहात विधायक हाजी इकराम कुरैशी चार बच्चे
ठाकुरद्वारा विधायक नवाब जान खां दो बच्चे – दोनों बेटे
कुंदरकी विधायक हाजी रिजवान, पांच बच्चे
बिलारी विधायक मोहम्मद फहीम इरफान, पांच बच्चे -चार बेटियां एक बेटा
सदस्य विधान परिषद डा. जयपाल सिंह व्यस्त, चार बच्चे -एक बेटा, तीन बेटियां