बरेली: सामान्य टीकाकरण से छूटे बच्चों का होगा चिह्नीकरण

बरेली, अमृत विचार। स्वास्थ्य विभाग का प्रतिरक्षण विभाग कोविड टीकाकरण के बारे में तो बड़े-बड़े दावे करता रहा लेकिन तीसरी लहर आने से ऐन पहले बच्चों के सामान्य टीकाकरण से हाथ खींचकर उनके लिए खतरा और बढ़ा दिया। लापरवाही का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि अप्रैल में बच्चों का टीकाकरण जनवरी की …
बरेली, अमृत विचार। स्वास्थ्य विभाग का प्रतिरक्षण विभाग कोविड टीकाकरण के बारे में तो बड़े-बड़े दावे करता रहा लेकिन तीसरी लहर आने से ऐन पहले बच्चों के सामान्य टीकाकरण से हाथ खींचकर उनके लिए खतरा और बढ़ा दिया। लापरवाही का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि अप्रैल में बच्चों का टीकाकरण जनवरी की तुलना में बमुश्किल 30 फीसदी हो पाया।
मई और जून के आंकड़े और ज्यादा दयनीय हैं। महीना खत्म होने को है। अब तक 20 फीसदी टीकाकरण भी नहीं हो पाया। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने सामान्य टीकाकरण से छूटे बच्चों का चिह्नीकरण शुरू कर दिया है। जिसके तहत आशाएं व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर बच्चों को टीकाकरण से छूटे बच्चों को चिह्नित करेंगी।
पोलियो, मीजल्स और हेपेटाइटिस जैसी गंभीर बीमारियों से बच्चों को बचाने के लिए उन्हें जन्म के समय से ही 10 वर्ष तक की उम्र तक अलग-अलग टीके लगाए जाते हैं। राज्य सरकार के मिशन इंद्रधनुष के तहत सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर हर दिन टीकाकरण किया जाता है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक जनवरी से मार्च तक हर महीने जिले में करीब दस हजार से ज्यादा बच्चों को टीका लगाया जा रहा था लेकिन अप्रैल में जैसे ही आम लोगों के लिए कोविड टीकाकरण की शुरुआत हुई, स्वास्थ्य विभाग ने बच्चों के टीकाकरण से हाथ खींच लिया।
नतीजा यह हुआ कि मई और जून में जिले भर में जनवरी के मुकाबले बमुश्किल 30 फीसदी बच्चों का ही टीकाकरण हो पाया। जिले में अब तक तीन हजार बच्चों को भी टीके नहीं लग पाए हैं। टीकाकरण बच्चों में प्रतिरोधक क्षमता विकसित करता है। इससे उन्हें गंभीर बीमारियों से सुरक्षा मिलती है। टीके संक्रमण के खतरे को काफी हद तक कम कर देते हैं। 12 से 24 महीने के बीच बच्चों को दो महीने, चार महीने, नौ महीने और 12 और 24 महीने के अंतराल पर टीका लगाया जाता है।
प्रतिरोधक क्षमता ही अच्छी नहीं होगी तो कैसे लड़ेंगे तीसरी लहर से
आशंका जताई जा रही है कि कोरोना की तीसरी लहर बच्चों को सबसे ज्यादा प्रभावित करेगी। लिहाजा यह सवाल भी उठ रहा है कि बच्चों में जब दूसरी गंभीर बीमारियों से लड़ने लायक प्रतिरोधक क्षमता ही नहीं होगी तो वे कोरोना से कैसे लड़ेंगे। कहा जा रहा है कि कोरोना के दौर में बच्चों के टीकाकरण में और ज्यादा गंभीरता दिखाने की जरूरत थी ताकि उन्हें दूसरी बीमारियों से तो कम से कम सुरक्षित रखा जा सकता। बता दें कि कोविड टीकाकरण में भी लगातार अव्यवस्था की शिकायतें आ रही हैं। टीकाकरण केंद्रों पर हंगामे की घटनाएं भी आम हैं।
इस साल टीकाकरण की रफ्तार
महीना टीकाकरण
जनवरी 12445
फरवरी 12427
मार्च 12615
अप्रैल 4694
मई 3548
जून 3614
ये टीके लगते हैं बच्चों को
- जन्म के समय – बीसीजी, पोलियो और हिपेटाइटिस बी
- जन्म से 6 सप्ताह पर- पोलियो-1, रोटा वाइरस-1, आईपीवी-1, पेंटावैलेंट-1, पीसीवी-1
- जन्म से 14 सप्ताह पर- पोलियो-3, रोटा वाइरस-3, आईपीवी-3, पेंटावैलेंट-3, पीसीवी-2
- 9 से 12 महीने पर- मीजल्स-रुबेला-1, पीसीवी बूस्टर डोज, जापानी इंसिफेलाइटिस-1
- 16 से 24 महीने पर- पोलियो बूस्टर डोज, मीजल्स-रुबेला-2, डीपीटी बूस्टर-1, जापानी इंसिफेलाइटिस-2
- 5 से 10 वर्ष पर- डीपीटी बूस्टर-2
- जन्म से 10 वर्ष पर- टिटनेस डिफ्थीरिया
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डा. आरएन सिंह ने बताया कि जिले में कोरोना के चलते बच्चों के सामान्य टीकाकरण प्रभावित होने के बाद बच्चों को चिन्हित करने की कवायद शुरू की जा रही है। जल्द ही लक्ष्य पूरा किया जाएगा।