उत्तराखंड की सियासत में बड़े फेरबदल की आहट, नेता प्रतिपक्ष के लिए कांग्रेस से किसी महिला विधायक को लाने की कवायद

अंकुर शर्मा, हल्द्वानी। उत्तराखंड की सियासत में जल्द ही बड़ा फेरबदल देखने को मिल सकता है। प्रदेश की राजनीति के प्रमुख चेहरों की सीटों में जहां फेरबदल की तैयारी है तो नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश के निधन के बाद इस पद पर किसी महिला विधायक को ही लाने की कवायद है। वहीं, सुमित हृदयेश का …
अंकुर शर्मा, हल्द्वानी। उत्तराखंड की सियासत में जल्द ही बड़ा फेरबदल देखने को मिल सकता है। प्रदेश की राजनीति के प्रमुख चेहरों की सीटों में जहां फेरबदल की तैयारी है तो नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश के निधन के बाद इस पद पर किसी महिला विधायक को ही लाने की कवायद है। वहीं, सुमित हृदयेश का मुकाबला करने वाले चेहरे की भाजपा में सरगर्मी से तलाश शुरू हो गई है। दिलचस्प बात यह है कि हल्द्वानी सीट को लेकर दोनों प्रमुख दलों में चली उठापटक जल्द ही सड़क पर आ जाए तो कोई हैरानी वाली बात नहीं होगी।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के चुनाव लड़ने का समय खोने को लेकर कांग्रेस के दिग्गत नेता हरीश रावत के बयान पर पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गुरुवार को हल्द्वानी में तीखी प्रतिक्रिया दी थी। त्रिवेंद्र ने हरीश रावत को नसीहत दी थी कि तीरथ चुनाव लड़ेंगे या नहीं, यह हरीश नहीं चुनाव आयोग तय करेगा। पार्टी सूत्रों के अनुसार भाजपा उपचुनाव कराने के मूड में तो है, लेकिन हल्द्वानी नहीं बल्कि गंगोत्री पर उसका पूरा फोकस है। नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश के निधन के बाद खाली हुई हल्द्वानी सीट पर वह कांग्रेस को किसी भी कीमत पर माइलेज देने के पक्ष में नहीं है। बल्कि उसकी रणनीति इस बार हल्द्वानी सीट पर कब्जा करने की है।
उत्तराखंड की सियासत की शुरूआत सत्ताधारी दल भाजपा से करें तो मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को गंगोत्री से चुनाव लड़ाने की पूरी संभावना है। टीएसआर-टू यानी सीएम तीरथ सिंह रावत के सलाहकार और पार्टी के दिग्गजों ने गंगोत्री में डेरा डाल दिया है। गंगोत्री के स्थानीय नेतृत्व और कार्यकर्ताओं ने जनता की नब्ज टटोलनी शुरू कर दी है। सूत्रों की मानें तो भाजपा का उपचुनाव कराने का मन सिर्फ गंगोत्री विस सीट पर ही है, जबकि बाकी किसी सीट पर वह उपचुनाव नहीं चाहती।
चेहरा साफ, लेकिन महत्वाकांक्षा भी हावी
टीएसआर-1 यानी पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने साफ किया है कि आगामी विस चुनाव का चेहरा तो तीरथ सिंह रावत होंगे, लेकिन उनकी दबी हुई महत्वाकांक्षा ने भी जोर मारना शुरू कर दिया है। जिस तरह से उन्होंने राज्य में सक्रियता बढ़ाई और आत्मविश्वास से लबरेज हैं, लग रहा है कि त्रिवेंद्र ऐन मौके पर बाजी पलट सकते हैं।
हल्द्वानी का किला जीतने की जद्दोजहद
नेता प्रतिपक्ष रहीं डॉ. इंदिरा हृदयेश के आकस्मिक निधन के बाद रिक्त हुई हल्द्वानी सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट मानी जाती है। बदले समीकरणों के बाद इस सीट पर भाजपा का परचम फहराने के लिए किसी दिग्गज को उतारे जाने की संभावना है। सियासी गलियारों में हलचल है कि प्रदेश के एक कैबिनेट मंत्री की विस सीट में बदलाव किया जा सकता है और उन्हें हल्द्वानी से उतारा जा सकता है। जबकि कैबिनेट मंत्री की विस सीट पर बाहर से आए ‘माननीय’ को मौका दिया जा सकता है।
कांग्रेस में कम नहीं अंदरूनी सियासत
डॉ. इंदिरा हृदयेश के निधन के बाद कांग्रेस में सियासी तूफान जारी है। नेता प्रतिपक्ष का पद रिक्त हो जाने पर अब कांग्रेस इस तरह का चेहरा लाना चाहती है जो एक साथ कई वर्गों को साध सके। इनमें गढ़वाल कोटे से एक महिला विधायक को नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने की चर्चा है। माना जा रहा है इससे महिला के साथ-साथ अन्य वर्ग साध लिए जाएंगे। वहीं, प्रदेशाध्यक्ष को भी बदला जा सकता है। नया प्रदेशाध्यक्ष कुमाऊं से हो सकता है। इस तरह कुमाऊं-गढ़वाल समेत सभी पहलूओं को साधा जाएगा। वहीं, हल्द्वानी विस सीट पर अभी तक चार दावेदारों ने ताल ठोंकी थी, लेकिन प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव और प्रदेशाध्यक्ष प्रीतम सिंह ने सुमित हृदयेश को नेता प्रतिपक्ष का ध्वजवाहक बताकर तस्वीर साफ कर दी है। इसके बाद कांग्रेस में भी विद्रोह की आशंका है। कई पुराने कांग्रेसी हाथ का साथ छोड़कर जा सकते हैं।