अल्मोड़ा: राज्य सरकार की स्वास्थ्य योजना पर जनहित याचिका दर्ज
By Amrit Vichar
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अल्मोड़ा, अमृत विचार। उत्तराखंड सरकार की स्वास्थ्य योजना पर नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दर्ज की गई है। यह याचिका देहरादून निवासी राज्य पेंशनर गणपत सिंह की ओर से उनके अधिवक्ता अभिजय सिंह नेगी ने दाखिल की है। हाईकोर्ट में दर्ज याचिका में उत्तराखंड शासन के मुख्य सचिव के 31 जनवरी 2020 के उस …
अल्मोड़ा, अमृत विचार। उत्तराखंड सरकार की स्वास्थ्य योजना पर नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दर्ज की गई है। यह याचिका देहरादून निवासी राज्य पेंशनर गणपत सिंह की ओर से उनके अधिवक्ता अभिजय सिंह नेगी ने दाखिल की है।
हाईकोर्ट में दर्ज याचिका में उत्तराखंड शासन के मुख्य सचिव के 31 जनवरी 2020 के उस शासनादेश को चुनौती दी गई है। जिसके द्वारा राज्य सरकार के कार्मिकों, पेंशनरों व उनके आश्रितों की निशुल्क चिकित्सा के लिए चलाई गई पूर्व व्यवस्था को समाप्त करते हुए 1 जनवरी 2021 से राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना नाम की नई व्यवस्था लागू की कई है।
याचिका में कहा गया है कि नई व्यवस्था में सारा व्यय कर्मचारियों और पेंशनरों के वेतन और पेंशन से मासिक अभिदान के रूप में अनिवार्य रूप से काटा जा रहा है। याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई है कि पेंशन उनकी निजी संपत्ति है और बिना उनकी सहमति लिए सरकार द्वारा अपनी किसी योजना के लिए उनकी पेंशन से कटौती किया जाना उनके संवैधानिक अधिकारों का हनन है।
याचिका में टिहरी के चंबा निवासी शैलेंद्र डोभाल, हरिद्वार के पप्पू बेलदार, देहरादून के ललित कुमार, ऋषिकेश के बीएन मख्लवाल और बिजनौर के रूप राम शर्मा ने कर्मचारियों और पेंशनरों की परेशानियों का उल्लेख करते हुए इस नई योजना को अपर्याप्त और बिना तैयारी के लागू किया जाना बताया है।
याचिका में कहा गया है कि प्रीमियम लेने के बाद भी दवाइयों और इलाज में लगने वाले ओपीडी के खर्चों का भुगतान प्रीमियम लेने वारी एजेंसी से ना करवाकर लाभार्थियों से कराने की व्यवस्था के लिए भी नई योजना को अनुचित और पेंशनरों के लिए कष्टकारी बताया गया है। याचिका में पेंशनरों की सुविधा के लिए विशेष प्रावधान रखे जाने, योजना को ऐच्छिक बनाए जाने और चिकित्सा व्यय प्रतिपूर्ति को बहाल किए जाने की याचना भी की गई है। उल्लेखनीय है कि इस नई योजना के लागू होने के बाद से इस नई चिकित्सा योजना को लेकर पूरे राज्य के कार्मिकों और पेंशनरों में असंतोष व्याप्त है और इसका लगातार विरोध भी किया जा रहा है।