लखीमपुर खीरी: 1608 में फेफड़ों और 2080 लोगों के अन्य अंगों में मिली टीबी, जानिए लक्षण-उपाय 

लखीमपुर खीरी: 1608 में फेफड़ों और 2080 लोगों के अन्य अंगों में मिली टीबी, जानिए लक्षण-उपाय 

लखीमपुर खीरी, अमृत विचार: जिले में निरंतर टीबी रोगी मिल रहे हैं। इनकी जानकारी टीबी रोगी खोजी अभियान में सामने आ रही है। दो माह में फेफड़ों वाली टीबी के 1608 और 2080 मरीज अन्य अंग में टीबी के सामने आए हैं।

जिम्मेदार बताते हैं कि अभियान में घर-घर जाने वाली टीमें लक्षण के आधार पर इनकी जांच कराती हैं, जिसमें टीबी रोग की पुष्टि होती है। फिलहाल सभी टीबी रोगियों का इलाज कराने के साथ शासन से मिलने वाली धनराशि उनके खातों में भेजी जा रही है।

प्रधानमंत्री मोदी ने पोलियो की तरह टीबी रोग से भारत को मुक्त कराने की मुहिम शुरू की है। इसके लिए समय-समय पर अभियान चलाकर लक्षणों के आधार पर टीबी रोगियों को खोजा जाता है। फिर इनकी जांच कराई जाती है, जिसमें क्षय रोग की पुष्टि होने पर इलाज शुरू कर दिया जाता है।

उप जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. रवि अवस्थी बताते हैं कि टीबी इलाज से पूरी तरह ठीक हो सकती है। जरूरी है बस लोगों जागरूक होना। समय पर जांच के बाद इलाज शुरू होने पर छह से 18 माह तक दवाओं का नियमानुसार सेवन करने से टीबी रोग से निजात मिल जाती है।

गत वर्ष 12432 में 11324 को टीबी रोग से मुक्त
पिछले साल जिले में सभी प्रकार के टीबी रोगियों की संख्या 12432 थी। नियमानुसार दवाओं का सेवन करते रहने से 11324 संक्रमितों को टीबी रोग से निजात मिली है। दवाओं के साथ सभी को बेहतर पोषण के लिए शासन से एक हजार रुपये प्रति माह मुहैया कराए गए।

बच्चों में टीबी का मुख्य कारण है कुपोषण
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अंजनी मिश्रा बताते हैं कि बच्चों व किशोरों के बीमार होने से लेकर टीबी की चपेट में आने का कारण कुपोषण है। सही पोषण न मिलने से रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) कमजोर रहती है, जिससे यह रोगों की गिरफ्त में जल्दी आते हैं।

डॉ. अंजनी मिश्रा का कहना है कि रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत रखने के लिए भोजन में हरी साग-सब्जी, मौसमी फल आदि शामिल करें। इससे बच्चे टीबी रोग से ही नहीं, बल्कि अन्य बीमारियों से भी बचे रहेंगे। कुपोषण के कारण बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास भी प्रभावित होता है।

टीबी के लक्षण
• वजन का निरंतर घटना
• तीन हफ्तों से ज़्यादा खांसी आना
• बुखार, खासतौर पर शाम को आना
• छाती में दर्द
• भूख में कमी आना
• बलगम के साथ खून आना
• रात में पसीना आना
• थकान एवं मांसपेशियों में कमजोरी

बचाव के उपाय
1. बच्चों का संपूर्ण टीकाकरण कराएं।
2. टीबी रोगियों से उचित दूरी बनाकर रखें।
3. हाथों को नियमित रूप से धोएं।
4. भीड़भाड़ वाली जगहों पर नाक और मुंह को ढक कर रखें।
5. टीबी रोगी भी सार्वजनिक जगहों पर थूकने से बचें।
6. खांसते और छींकते समय पर मुंह पर रूमाल लगाएं।

गत वर्ष मिले टीबी रोगी- 12432
टीबी रोग से ठीक हुए-11324
इस साल फरवरी तक खोजे गए रोगी-3694
टीबी रोगियों के खातों में भेजी गई धनराशि- करीब 48 लाख

टीबी लाइलाज नहीं है। पौष्टिक आहार का सेवन कर टीबी ही नहीं बल्कि अन्य बीमारियों से भी बचा जा सकता है। गत माह छह टीबी रोगियों को गोद लेकर हर माह पोषण पोटली मुहैया कराई। सभी टीबी रोगी पहले से बेहतर हैं और रोग से छुटकारा मिल रहा है -दीपक पुरी दवा व्यापारी

टीबी रोगियों का पता लगाने के लिए निरंतर खोजी अभियान चलाया जा रहा है। इनमें संदिग्ध रोगी मिलने पर उनकी जांच कराई जाती है। टीबी की पुष्टि होने पर इलाज के साथ पोषण के लिए धनराशि भी मुहैया कराई जाती है-डॉ. अनिल कुमार गुप्ता, जिला क्षय रोग अधिकारी

ये भी पढ़ें- लखीमपुर खीरी: एंटी करप्शन टीम से नोकझोंक, एपीओ की गिरफ्तारी पर कर्मचारियों का विरोध

ताजा समाचार