Kanpur: मां की उम्र अधिक तो बच्चे को डाउन सिंड्रोम का खतरा, भारतीय बाल रोग अकादमी ने किया जागरूक

कानपुर, अमृत विचार। डाउन सिंड्रोम एक आनुवंशिक रोग है, जो क्रोमोसोम 21 के जोड़े में एक अतिरिक्त क्रोमोसोम के जुड़ने से उत्पन्न होता है। विश्व में अनुमानित 1000 में से एक बच्चा डाउन सिंड्रोम के साथ जन्म लेता है। वहीं, अगर मां की उम्र 35 वर्ष से अधिक हो तो इसके होने का खतरा और अधिक बढ़ जाता है। ऐसे में गर्भावस्था के शुरुआती चरण में ही स्क्रीनिंग टेस्ट द्वारा इसका पता लगाया जा सकता है। यह जानकारी शुक्रवार को डॉ. रोली मोहन श्रीवास्तव ने दी।
शास्त्री नगर स्थित एक स्कूल में शुक्रवार को भारतीय बाल रोग अकादमी ने विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस पर जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमे 50 से अधिक बच्चों ने भाग लिया। डॉ. रोली ने बताया कि डाउन सिंड्रोम के साथ जन्मे बच्चे देखने में अलग हैं। उनका मानसिक विकास भी धीमी गति से होता है। इसके साथ ही इन बच्चों को सेहत संबंधी परेशानियों का भी खतरा रहता है, लेकिन यह जरूरी भी नहीं है। कई बच्चे एकदम स्वस्थ होते हैं।
सचिव डॉ.अमितेश यादव ने बताया कि डाउन सिंड्रोम से ग्रसित बच्चे का मानसिक और शारीरिक विकास मुख्य रूप से प्रभावित होता है। इसमें बच्चे का कद छोटा, मांसपेशियां शिथिल, नाक व चेहरा चपटा, जीभ मोटी व बाहर निकली हुई, गर्दन व कान छोटे, आंखें बादाम के आकार की और हाथ चौड़े व छोटे होते हैं। डॉ. आशीष विश्वास ने बताया कि इस समस्या से ग्रस्त बच्चों में जन्मजात हृदय रोग, थायराइड विकार, स्लीप एपनिया, बहरापन व ब्लड कैंसर का खतरा अधिक रहता है।
खास बात ये है कि इसका पूरी तरह कोई इलाज भी नहीं है, लेकिन जल्दी पहचान, आधुनिक चिकित्सा शिक्षा पद्धति जैसे फिजियोथैरेपी, ऑक्यूपेशन थेरेपी, स्पीच थेरेपी आदि से इन बच्चों की जीवन की गुणवत्ता को काफी हद तक बेहतर बनाना संभव हुआ है। डॉ. अनुराग भारती ने बताया कि इन बच्चों को समाज की मुख्यधारा में लाने, समान अवसर देने व उनको गले लगाने की आवश्यकता है, ताकि वह एक स्वतंत्र जीवन जी सकें। इस दौरान डॉ. आरजी गुप्ता, डॉ. मनीष निगम, प्रधानाचार्य दीप्ति तिवारी समेत आदि अभिभावक रहे।
डाउन सिंड्रोम के लक्षण
- जोड़ों व मांसपेशियों का ढीलापन ।
- सिर का आकार पीछे से सपाट होना ।
- आंखें ऊपर या बाहर की तरफ या तिरछी होना ।
- छोटा और गठीला शरीर ।
- जन्म के समय वजन कम होना ।
- हाथ चौड़ा लेकिन उंगलियां छोटी होना ।
- बुद्धि स्तर काफी कम होना ।
- शारीरिक और मानसिक विकास धीमा हो ।
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