UP: निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारियों का प्रदर्शन जारी, लगाया यह गंभीर आरोप

लखनऊ। बिजली के निजीकरण के विरोध में उत्तर प्रदेश में बिजली कर्मचारियों का राज्यव्यापी प्रदर्शन सोमवार को भी जारी रहा। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर आज लगातार 110 वें दिन बिजली कर्मचारियों ने सभी जिलों परियोजनाओं और राजधानी लखनऊ विरोध प्रदर्शन जारी रखा।
संघर्ष समिति ने आरोप लगाया है कि कनफ्लिक्ट आफ इंटरेस्ट (हितों के टकराव) के प्राविधान को हटाकर निजीकरण के लिये ट्रांजैक्शन कंसलटेंट की बिडिंग कराई गई है। उनका कहना है कि ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट की नियुक्ति के आरएफपी डॉक्यूमेंट में पहले हितों के टकराव का प्राविधान था। यदि यह पहले था तो इसे क्यों हटाया गया है। इसके पीछे साफ तौर पर भ्रष्टाचार का संकेत मिल रहा है।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि ऐसे कई संकेत मिल रहे हैं जिनसे प्रतीत होता है कि बिजली के निजीकरण के नाम पर मेगा घोटाला होने जा रहा है। समिति ने कहा कि 15 साल पहले जब आगरा की बिजली व्यवस्था निजी कंपनी टोरेंट पावर कंपनी को दी गई थी तब 2200 करोड़ का राजस्व का बकाया था।
समझौते के तहत यह बकाया टोरेंट कंपनी को वसूल करके पॉवर कॉरपोरेशन को वापस करना था और पावर कॉरपोरेशन टोरेंट कंपनी को इसके ऐवज में 10 प्रतिशत इंसेंटिव के रूप में देती। आज 15 साल गुजर गए हैं। इस बकाए का एक भी पैसा टोरेंट कंपनी ने वापस नहीं किया। इससे ऐसा लगता है कि पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के पीछे 66000 करोड रुपए का बकाया राजस्व निजी कंपनियों के लिए बहुत बड़े आकर्षण का मुद्दा है।
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