लखीमपुर खीरी: मलमास का आगाज, 14 अप्रैल के बाद ही होंगे शुभ कार्य
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लखीमपुर खीरी, अमृत विचार: होलाष्टक खत्म होते ही मलमास शुरू हो गया है। इससे मांगलिक कार्यों पर बैन लग गया है। खरमास का समापन 14 अप्रैल को होगा। इसके बाद एक बार फिर बैंड बाजा बारात की गूंज सुनाई देगी।
श्रीमती चंद्रकला आश्रम एवं संस्कृत विद्यापीठ देवकली के महंत प्रमोद दीक्षित बताते हैं कि फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से पूर्णिमा तक होलाष्टक रहा। मान्यता के अनुसार होलाष्टक में मांगलिक कार्य नहीं होते हैं। 13 मार्च को होलिका दहन के साथ होलाष्टक भी खत्म हो गया। मगर, शुभ कार्यों के लिए लोगों को अभी एक माह और इंतजार करना होगा, क्योंकि 14 मार्च से सूर्य मीन राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य की मीन संक्रांति को मलमास कहा जाता है, जिसमें मांगलिक कार्य करना वर्जित माना गया है।
उन्होंने बताया कि खरमास के दिनों में मांगलिक कार्य न करने की वजह इस दौरान सूर्य और देवगुरु बृहस्पति की ऊर्जा कमजोर होना होता है। उन्होंने बताया कि सूर्य 13 अप्रैल की अलसुबह 05:01 मिनट पर अपनी उच्च मेष राशि में प्रवेश करेंगे। इससे 14 अप्रैल को सत्तु संक्राति के साथ खरमास समाप्त होगा और फिर से बैंड बाजा बारात का दौर शुरू होगा। मलमास समाप्त होते ही चैत्र शुक्ल पक्ष में चैत्र नवरात्रि का आरंभ होता है।
मलमास
1. सूर्य देव के गुरु की राशि धनु या मीन में प्रवेश करने पर खरमास शुरू होता है।
2. इन दिनों देवताओं को विश्राम की अवस्था में माना जाता है।
3. दस दौरान ग्रहों की स्थिति शुभ कार्यों के अनुकूल नहीं रहती।
4. यह समय साधना, भक्ति व दान-पुण्य के लिए उपयुक्त है।
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