Ambedkarnagar News : पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह की जमीन को धोखाधड़ी कर बेचे जाने के मामले की प्रारंभिक जांच पूरी

Ambedkar Nagar, Amrit Vichar : मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह की अंबेडकरनगर स्थित पुश्तैनी जमीन को फ्राड कर धोखाधड़ी से बेचे जाने के मामले में जिलाधिकारी अविनाश ने तीन सदस्यीय टीम का गठन कर जांच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया था। जिलाधिकारी ने सोमवार को बताया कि मामले की प्रारंभिक जांच लगभग पूरी हो गई है। टीम दो दिनों के भीतर अपनी रिपार्ट सौंपेगी।
जिलाधिकारी अविनाश सिंह ने बताया कि आलापुर तहसील के महुवर गांव में पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह की जमीन को फ्राड कर धोखाधड़ी करके बेचे जाने की शिकायत प्राप्त हुई है। मामले में अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व डॉ. सदानंद सरोज, एसडीएम आलापुर सौरभ सिंह और जलालपुर एसडीएम पवन कुमार जायसवाल को मिलाकर एक टीम बनायी गई है। जिलाधिकारी ने बताया कि टीम ने मौके पर पहुंचकर कई अभिलेखों की जांच-पड़ताल किया है। इसके अलावा टीम ने आलापुर सब रजिस्ट्रार के कार्यालय में जाकर वहां भी अभिलेखों की जांच की है। उन्होंने कहा कि निश्चित रुप से टीम ने काफी कुछ देख लिया है। प्रारंभिक दौर की जांच-पड़ताल पूरी हो गई है। अगले दो दिनों में जांच पूरी कर जरूरी कार्रवाई की जाएगी।
यह है पूरा मामला : आलापुर तहसील क्षेत्र के महुवर गांव के गाटा संख्या 1235 की 0.152 हेक्टेयर जमीन मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के नाम दर्ज है। पहले यह जमीन उनकी मां के नाम थी। जिनका निधन 18 फरवरी 1986 को हुआ था। इसके बाद 18 मई 2024 को यह जमीन विरासत में दिग्विजय सिंह और उनके भाई लक्ष्मण के नाम हो गई। मौजूदा समय में इस जमीन की कीमत लगभग 50 लाख रुपए आंकी जा रही है। बताया जा रहा है कि दिग्विजय सिंह की मौसी विमला देवी की शादी मकरही स्टेट के राजा महेश्वरी सिंह से हुई थी। भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत 1894 से 1975 के दौरान राजाओं की जमीन की चकबंदी शुरू हुई। इसी के तहत सरकार राजाओं की जमीन को अधिग्रहित करने लगी। सीलिंग से अपनी जमीन को बचाने के लिए राजा महेश्वरी सिंह ने इस जमीन को अपनी साली यानी दिग्विजय सिंह की मां अपर्णा देवी के नाम कर दिया था। मां के गुजरने के बाद यह जमीन दिग्विजय सिंह की हो गई।
पॉवर ऑफ अटॉर्नी बताकर कराया फर्जी बैनामा : शिकायतकर्ता केयर टेकर अनिल कुमार यादव ने बताया कि केवटला निवासी रामहरक चौहान नाम के व्यक्ति ने 1989 में खुद को दिग्विजय सिंह का मुख्तार-ए-आम यानी पॉवर ऑफ अटॉर्नी बताकर जियालाल, राजबहादुर शिवप्रसाद के पुत्र और मंगली मट्टू के पुत्र नामक व्यक्तियों के नाम बैनामा कर दिया। जब यह बैनामा धारक जमीन पर नींव की खोदाई करवाने लगे तो उन्होंने मामले की जानकारी दिग्विजय सिंह को दी। जिसके बाद मामला हाई प्रोफाइल होने के कारण जिला प्रशासन ने मामले को संज्ञान लिया और निमार्ण कार्य को रुकवा कर जांच-पड़ताल में जुट गया।
यह भी पढ़ें- Ayodhya News : मंदिरों का गृहकर व जलकर माफ, लिया जाएगा अन्य गतिविधियों से संबंधित टैक्स