दिनेशपुर का 350 साल पुराना प्राचीन शिव मंदिर है अटूट आस्था का केंद्र

दिनेशपुर, अमृत विचार : तराई में पुरातात्विक व धार्मिक महत्व वाले क्षेत्र का जब भी जिक्र होता है, रामबाग को कोई नहीं भुलता। यह चंद्रवंशियों की भक्ति का गवाह है। बोक्साड़ की बसायत है तो अंग्रेजी राज में गवर्नमेंट एस्टेट रहा है। तराई के आदिवासी बुक्सा जनजाति समुदाय की अटूट आस्था का केंद्र रामबाग स्थित प्राचीन शिव मंदिर में शिवरात्रि पर्व व मेला की तैयारियां पूर्ण हो गई हैं। महाशिवरात्रि के अवसर पर हजारों कांवड़िए शिवलिंग में जलाभिषेक करते हैं।
रामबाग गांव वर्ष 1988 के आसपास सुर्खियों में आया। जब पुरातत्व विभाग के दलों द्वारा खुदाई में यहां आधा दर्जन से अधिक छोटी- बड़ी देवी- देवताओं व अन्य मूर्तियां मिलीं। पुरातत्वविदों ने अनुमान लगाया कि पत्थरों को काटकर बनाई गई यह कलाकृतियां तेरहवीं सदी से पूर्व की हो सकती हैं। जब कुमाऊं- गढ़वाल में मूर्ति कला व स्थापत्यकला उत्कर्ष में थी। इस बात को 350 साल पूर्व घुमंतू बुक्साओं को मिला शिवलिंग बल देता है। 1953 में इस पवित्र स्थान पर मंदिर स्थापित किया गया। किंवदंतियां हैं कि मंदिर के मुख्य पुजारी चंदू सिंह लखचौरसिया के दादा शिवभक्त कल्याण सिंह की संतान नहीं थी। उन्हें स्वप्न में बाबा भोलेनाथ ने दर्शन दिए और कहा कि गांव में ही एक टीले पर शिवलिंग मिलेगा।
यदि वह शिवलिंग के दर्शन करें तो उसकी मनोकामना पूरी हो जाएगी। दंतकथा के अनुसार शिव भक्त कल्याण सिंह को शिव के आशीर्वाद से दो पुत्र भागमल सिंह व केदार सिंह की प्राप्ति हुई। बाद में भागमल सिंह ने मंदिर की स्थापना कर 20 साल तक सेवा की। वर्ष 1993 से इस परंपरा को उनके पुत्र मुख्य पुजारी चंदू सिंह लखचौरसिया व उनकी धर्मपत्नी पुजारन मंतो देवी निभा रही है। उन्होंने सर्वप्रथम प्राचीन शिव मंदिर सुधार समिति का गठन किया। तत्पश्चात वर्ष 2005 में बुक्सा समुदाय के लोगों द्वारा आदिवासी शिव मंदिर कमेटी रामबाग के नाम से गठन किया। श्रद्धालुओं का विश्वास है कि प्राचीन शिव मंदिर में स्थापित शिवलिंग के दर्शन से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। महाशिवरात्रि व मेले से पूर्व हजारों कांवड़िए हरिद्वार से पैदल चलकर पवित्र गंगाजल लाकर महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं। इसी के साथ शंखनाद से पहले पांच दिन एवं इस बार से नौ दिनी मेला शुरू किया जा रहा है। इस दौरान जनपद ही नहीं बल्कि बाहरी राज्यों के श्रद्धालु भी यहां दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। मान्यता है कि शिवलिंग के दर्शन करने से भक्तों की मुराद पूरी होती है।
शिवलिंग के सुबह- शाम होते हैं अलग-अलग रंग
दिनेशपुर: प्राचीन शिव मंदिर रामबाग में स्थापित शिवलिंग चमत्कारिक माना जाता है। सुबह, दोपहर व शाम को शिवलिंग का रंग अलग-अलग होता है। विश्वास है कि साल दर साल शिवलिंग के आकार में भी वृद्धि होती है।