कासगंज: सोरों तीर्थ नगरी के लिए बजट में प्रावधान न होने से पुरोहितों में निराशा, जानें क्या बोले?

सोरोंजी, अमृत विचार: यूपी बजट को लेकर सुबह से ही तीर्थ नगरी के लोगों को तमाम उम्मीदें थीं, लेकिन बजट जारी होने के बाद यहां के तीर्थ पुरोहितों की आशाओं पर पानी फिर गया। सरकार ने प्रदेश के धार्मिक स्थलों के लिए बजट तो जारी किया, लेकिन सोरों तीर्थ नगरी के लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं किया गया, जिससे यहां के पुरोहितों और श्रद्धालुओं में निराशा देखने को मिल रही है।
सोरों की अनदेखी पर तीर्थ पुरोहितों की नाराजगी
सोरों धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व की नगरी है, जहां भगवान वराह ने मोक्ष प्राप्त किया था। इस स्थान को तीर्थ स्थल घोषित हुए चार वर्ष होने वाले हैं, लेकिन अब तक किसी बड़े विकास कार्य का ऐलान नहीं हुआ।
तीर्थ पुरोहित सतीश भारद्वाज ने बजट को लेकर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, "बजट में अयोध्या और मथुरा का ध्यान रखा गया है, लेकिन सोरों को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया। सरकार को यहां के लिए भी विशेष प्रावधान करना चाहिए था।
अखंड आर्यावर्त के राष्ट्रीय अध्यक्ष भूपेश शर्मा ने कहा कि प्रदेश के बजट में तीर्थ नगरी सोरों के प्रति सरकार और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता साफ झलक रही है। विकास के लिए अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए, जो कि सीधा पक्षपात दर्शाता है।
तीर्थ पुरोहित कैलाश कटारे ने भी चिंता जताते हुए कहा कि जब तक सरकार विशेष रूप से सोरों पर ध्यान नहीं देगी, तब तक इसका कायाकल्प नहीं हो पाएगा। हम यूपी सरकार के बजट से काफी उम्मीदें लगाए बैठे थे, लेकिन फिर निराशा ही हाथ लगी।
रजनेश निर्भय ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों के लिए बजट तो अच्छा रहा है, लेकिन सोरों के विकास के लिए कोई ठोस प्रावधान नहीं किया गया। चार सालों से लगातार मांग उठ रही है, लेकिन इस बार भी निराशा हाथ लगी है।
सोरों के विकास की मांग
बजट में प्रावधान न होने से तीर्थ पुरोहितों और स्थानीय लोगों में सरकार के प्रति नाराजगी देखी जा रही है। उनका कहना है कि जब तक सरकार विशेष रूप से सोरों के लिए बजट आवंटित नहीं करती, तब तक इस ऐतिहासिक तीर्थ नगरी का विकास अधूरा रहेगा। अब सभी की निगाहें सरकार के अगले कदम पर टिकी हैं।
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