बरेली: बोले अदनान मियां-उत्तराखंड में यूसीसी ज्यादती की हद, सड़क से अदालत तक करेंगे आंदोलन

बरेली, अमृत विचार। उत्तराखंड में यूसीसी (समान नागरिक संहिता) लागू किए जाने का मुस्लिम संगठनों और उलमा ने विरोध शुरू कर दिया है। नबीरा-ए-आला हजरत व ऑल इंडिया रजा एक्शन कमेटी (आरएसी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अदनान रजा कादरी ने इसका विरोध किया है। उन्होंने कहा कि शरीयत के साथ किसी तरह का खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मुसलमानों पर ज़ुल्म और ज्यादती की हद है। आरएसी सड़क से लेकर अदालत तक आदोंलन के लिए तैयार है। उलमा के साथ रणनीति तैयार करेंगे।
मौलाना अदनान रजा कादरी ने कहा कि आजकल कुछ नेताओं को ऐसा लगने लगा है कि नफरत की राजनीति जितनी ज्यादा करेंगे उतना ही उनका राजनीतिक करियर ऊपर जाएगा। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक खूबसूरत पहाड़ी प्रदेश को नफरत की प्रयोगशाला बनाने की ठान ली है। उनकी ये जिद न सिर्फ उत्तराखंड की शांति के लिए खतरा बनती जा रही है बल्कि इसका बुरा असर पूरे देश में देखने को मिलेगा। उत्तराखंड में तथाकथित समान नागरिक संहिता के नाम पर संविधान के साथ बेहूदा मजाक किया गया है। नबीरा-ए-आला हजरत ने कहा कि चार दिन पहले मुल्क के तमाम नागरिकों ने गणतंत्र दिवस मनाकर ये संदेश दिया है कि हमें संविधान के तहत बराबरी का अधिकार मिला हुआ है और हम सभी को इस पर गर्व है। जब संविधान में सभी समान हैं तो ये कानून लागू करने की क्या जरूरत। असल में एक धर्म की संस्कृति को बाकी सभी मजहबों पर थोपने की साजिश से ज्यादा कुछ भी नहीं है।
विपक्षी दलों को जारी करना चाहिए बयान
नबीरा-ए-आला हजरत ने कहा कि उत्तराखंड विधानसभा में ही नहीं बल्कि भारतीय संसद में सभी विपक्षी दलों को इस फैसले का खुलकर विरोध करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी विपक्षी दलों को आधिकारिक बयान जारी कर बताना चाहिए कि उत्तराखण्ड में ये संहिता लागू होने पर उनका क्या रुख है। उन्होंने कहा कि जहां तक मुसलमानों का सवाल है तो मुल्क का कानून हमें भी अपने मजहब और कल्चर को अपनाने और निभाने की इजाजत देता है। ये अधिकार कोई भी नेता या पार्टी नहीं छीन सकती।
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