Etawah के सैफई विश्वविद्यालय में दिनभर चला धरना-प्रदर्शन, मरीजों को हुई भारी परेशानी

Etawah के सैफई विश्वविद्यालय में दिनभर चला धरना-प्रदर्शन, मरीजों को हुई भारी परेशानी

सैफई, इटावा, अमृत विचार। उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय में नर्सिंग स्टॉफ और जूनियर डॉक्टरों के बीच विवाद गहराता जा रहा है। बुधवार को सुबह 9 बजे से शाम तक दोनों पक्षों ने अपने-अपने समर्थन में धरना प्रदर्शन किया, जिससे ओपीडी सेवाएं पूरी तरह बाधित रहीं और दूर-दराज से आए मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। नर्सिंग एसोसिएशन की अध्यक्ष सत्येंद्र चौधरी और महामंत्री संजय शर्मा के नेतृत्व में नर्सिंग स्टाफ ने धरना दिया।

उनका आरोप है कि 11 जनवरी की रात हड्डी रोग विभाग के तीन जूनियर डॉक्टर शराब के नशे में ट्रामा सेंटर की तीसरी मंजिल पर पहुंचे और ड्यूटी पर तैनात महिला नर्सिंग अधिकारी दिव्या तिवारी के साथ अभद्र व्यवहार किया। एसोसिएशन का कहना है कि यह पहली घटना नहीं है। पूर्व में भी कई बार दुर्व्यवहार की शिकायतें की गई हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। 12 जनवरी को कुलपति के नाम सौंपे गए ज्ञापन में उन्होंने इन घटनाओं की जांच और दोषी डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।

दूसरी ओर, जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि नर्सिंग स्टाफ अपने कर्तव्यों का सही ढंग से पालन नहीं करता। उनका आरोप है कि नर्सिंग स्टाफ ड्यूटी के दौरान समय पर उपस्थित नहीं रहता, मरीजों की ड्रेसिंग, दवा वितरण, और देखभाल जैसे महत्वपूर्ण कार्यों में लापरवाही करता है, जिससे मरीजों की स्थिति गंभीर हो सकती है। वे इन आरोपों को साजिश करार देते हुए मामले की निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं।

धरना प्रदर्शन के दौरान इमरजेंसी ट्रामा सेंटर के गेट पर नर्सिंग स्टाफ ने नारेबाजी की, जबकि रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के सदस्य प्रशासनिक भवन में इकट्ठा होकर ज्ञापन सौंपने पहुंचे। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने सीओ पहुंप सिंह, तहसीलदार जावेद अंसारी, प्रभारी निरीक्षक राकेश शर्मा और दो प्लाटून पीएसी को तैनात किया।

विश्वविद्यालय प्रशासन ने विवाद के समाधान के लिए एक जांच समिति गठित की है। कुलपति प्रो. डॉ. पी.के. जैन, प्रति कुलपति डॉ. रमाकांत यादव, डीन मेडिकल डॉ. आदेश कुमार, और चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एस.पी. सिंह ने दोनों पक्षों से बातचीत की और निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया। इस विवाद के चलते ओपीडी सेवाएं पूरी तरह से बंद रहीं।

सुबह 9 बजे से दोपहर 1 बजे तक पर्चा काउंटर बंद रहे, जिससे दूर-दराज से आए मरीजों को बिना इलाज के लौटना पड़ा। केवल एक घंटे के लिए पर्ची काउंटर खुले, जिसमें 464 पर्चे बने, जबकि इमरजेंसी ट्रामा सेंटर में 350 पर्चे बनाए गए। मरीजों और उनके परिजनों ने चिकित्सा सेवाओं में बाधा के कारण गहरी नाराजगी व्यक्त की है।

दोनों पक्ष अपनी-अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं। नर्सिंग स्टाफ का कहना है कि जब तक दोषी डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं होती, वे अपना प्रदर्शन जारी रखेंगे। वहीं, डॉक्टरों ने इन आरोपों को झूठा करार देते हुए नर्सिंग स्टाफ से अपने कर्तव्यों का पालन करने की अपील की है। प्रशासन ने जल्द समाधान का आश्वासन दिया है, लेकिन फिलहाल विवाद के समाधान की कोई ठोस दिशा दिखाई नहीं दे रही है।

इस विवाद से खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है, जो समय पर इलाज न मिलने के कारण परेशान हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन से उम्मीद है कि वह जल्द से जल्द इस विवाद का समाधान निकालकर चिकित्सा सेवाओं को सामान्य करेगा, ताकि मरीजों को राहत मिल सके।

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