लखनऊ: नई नीति से निर्यात को मिलेगी रफ्तार, 1 अप्रैल से होगी लागू
प्रशांत सक्सेना/लखनऊ, अमृत विचार। उत्तर प्रदेश में नई निर्यात नीति से लॉजिस्टिक, इलेक्ट्रॉनिक, टेक्सटाइल, हैंडीक्राफ्ट, एग्रीकल्चर, फूड प्रोसेसिंग, केमिकल, कीटनाशक व इंजीनियरिंग के सम्बंधित सामानों के निर्यात को रफ्तार मिलेगी। इसके लिए प्रदेश सरकार 'निर्यात नीति 2025-30' बना रही है। जो 1 अप्रैल से लागू होगी। यह नीति खासकर बड़े-छोटे सभी निर्यातकों को लुभाएगी। जो कम खर्च में अपने माल का प्रचार करके किसी भी देश में आसानी से बेच सकेंगे।
प्रदेश में निर्यात नीति 2020-25 मार्च में खत्म हो जाएगी। आगे के क्रम में निर्यात नीति 2025-30 की प्रक्रिया शुरू हो गई है। नई नीति निर्यातक, सलाहकार, काउंसिल, विशेषज्ञ, केंद्र व राज्य सरकार के अधिकारियों के सुझावों पर तैयार हो रही है। नीति में पिछले वर्षों के निर्यात के परिणाम को देखते हुए परिवहन पर भाड़ा, अनुदान, क्षतिपूर्ति, प्रोत्साहन, प्रशिक्षण, सामान की डिजिटल मार्केटिंग व प्रचार आदि मुख्य बिंदु शामिल है। साथ ही निर्यात भवन में इसकी ब्रांडिंग पहले इंडिया फाउंडेशन कर रही है। जो विशेषज्ञों के सुझाव तैयार करके 31 जनवरी तक स्वीकृति के लिए ऑनलाइन अपलोड करेगी। वर्ष 2024 में 20.57 बिलियन का निर्यात हुआ था।
छोटे निर्यात को मिल सकती पहले से अधिक क्षतिपूर्ति
ज्यादार देखा गया कि सामान भेजने में खर्च अधिक है और नुकसान पर प्रीमियम के अनुसार क्षतिपूर्ति राशि कम मिलती है। ऐसी स्थिति में भुगतान भी फंस जाता है। इस वजह से छोटे निर्यातक जोखिम समझकर निर्यात नहीं करते हैं। नई नीति में अनुदान बढ़ाने और पहले से अधिक क्षतिपूर्ति का सुझाव दिया गया है। तमाम पहले से बेहतर सुविधाएं दी जाएंगी।
गामा से कराया जाएगा परीक्षण
निर्यात में सबसे ज्यादा समस्या सामान के परीक्षण में आती है, जो बेंगलुरु या फिर दूर दराज भेजा जाता है। इसमें भाड़ा अधिक आता है। इस समस्या को देखते हुए नई निर्यात नीति में गामा से सामान का परीक्षण करने का सुझाव शामिल किया गया है। इसके लिए जिन जगहों से शिप से माल भेजा जाएगा वहां गामा की लैब बनाकर परीक्षण कराया जाएगा। इससे आसानी से सामान का परीक्षण होगा और खर्च कम आएगा। इसके अलावा निर्यातकों के बीच सम्मेलन कराया जाएगा।
मिलेगा डिजिटल, बनेगी सेल
नई निर्यात नीति के अनुसार निर्यातकों को सामान की बिक्री व प्रचार के लिए डिजिटल प्लेटफार्म मिलेगा। इस पर अनुदान मिलेगा। इसके अलावा निर्यात भवन में मार्केटिंग इन्टेलीजेंस डैशबोर्ड बनेगा। इन सुविधाओं से निर्यात किस देश में किस सामान समान की बिक्री व मांग, वहां के मानक आदि जानकारी ऑनलाइन ले सकेंगे। निर्यात भवन में एक राज्य स्तरीय सेल भी बनाई है।
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