Putrada Ekadashi: क्या आप जानते हैं पुत्रदा एकादशी व्रत का सबसे बड़ा लाभ? ये बदल सकता है आपकी जिंदगी

Putrada Ekadashi: क्या आप जानते हैं पुत्रदा एकादशी व्रत का सबसे बड़ा लाभ? ये बदल सकता है आपकी जिंदगी

दीपक मिश्र, मोहनपुरा। हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रतिमाह कृष्ण और शुक्ल पक्ष की कुल दो एकादशी होती हैं। प्रत्येक एकादशी का अपना विशेष महत्व है, लेकिन पौष माह की कृष्ण पक्ष एकादशी, जिसे पुत्रदा एकादशी कहा जाता है, पुराणों में विशेष महत्व बताया गया है। इसे वैकुंठ एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। यह वर्ष 2025 की प्रथम एकादशी है। हालांकि, पुत्रदा एकादशी वर्ष में दो बार पौष और श्रावण माह में आती है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जो महिलाएं विधि-विधान से इस व्रत को करती हैं, उन्हें भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और उनकी संतान से जुड़ी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। पुत्रदा एकादशी व्रत पूर्ण करने के बाद अगले दिन द्वादशी को व्रत का पारण करने से ही इसे पूर्ण माना जाता है।

संतान प्राप्ति के लिए विशेष फलदाई व्रत
पुराणों के अनुसार, राजा सुकेतुमान और रानी शैव्या ने ऋषि-मुनियों के मार्गदर्शन में संतान प्राप्ति की कामना से यह व्रत विधि-विधान से किया। इसके फलस्वरूप उन्हें एक स्वस्थ, शूरवीर और यशस्वी राजकुमार की प्राप्ति हुई। तभी से मान्यता है कि नि:संतान दंपति यदि विधिपूर्वक पूजा-अर्चना कर पूरे मनोयोग से व्रत रखें, तो उन्हें वाजपेय यज्ञ के समान पुण्य की प्राप्ति होती है।

पुत्रदा एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा होती है। यह व्रत संतान प्राप्ति और उनकी खुशहाली के लिए विशेष फलदायक माना जाता है। इस व्रत को रखने से न केवल संतान सुख प्राप्त होता है, बल्कि जीवन की अन्य परेशानियां भी दूर होती हैं- सत्य प्रकाश मिश्र, शिक्षाविद् एवं सेवा-निवृत्त प्रधानाचार्य।

पुरोहित पंडित दिवाकर पचौरी के अनुसार-
एकादशी प्रारंभ: गुरुवार, 9 जनवरी 2025, दोपहर 12:22 बजे।
एकादशी समाप्त: शुक्रवार, 10 जनवरी 2025, सुबह 10:19 बजे।
व्रत का दिन: उदया तिथि के प्रभाव के कारण व्रत शुक्रवार, 10 जनवरी 2025 को रखा जाएगा।
व्रत विधि
प्रातःकाल दैनिक क्रियाओं से निवृत्त होकर सूर्योदय से पूर्व स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
भगवान विष्णु की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं। तत्पश्चात पुष्प, तुलसी दल, पीले वस्त्र और मिष्ठान अर्पित कर व्रत रखने का संकल्प लें।
नि:संतान दंपति संतान प्राप्ति की कामना कर व्रत को विधिपूर्वक पूर्ण करने का संकल्प लें।
पुत्रदा एकादशी की कथा पढ़ें या सुनें और इसे यथासंभव दूसरों को भी सुनाएं।
व्रत के दौरान अन्न ग्रहण न करें। केवल फलाहार और जल ग्रहण करें।
व्रत की समाप्ति तक सत्य, अहिंसा और संयम का पालन करें।
मन को बुरे विचारों और बुरे कार्यों से दूर रखें।
व्रत पारण विधि
व्रत का पारण शनिवार, 11 जनवरी 2025 को प्रातः 7:15 बजे से 8:21 बजे तक करें।
प्रातःकाल स्नान कर पीले वस्त्र धारण करें।
पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और भगवान विष्णु एवं मां लक्ष्मी की पूजा करें।
खीर, फल और मिष्ठान भोग के लिए अर्पित करें और इसे प्रसाद के रूप में वितरित करें।
श्रद्धानुसार वस्त्र, अनाज या अन्य आवश्यक वस्तुओं का दान करें।
पुत्रदा एकादशी व्रत से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो जीवन में सुख, शांति और संतान संबंधी इच्छाओं को पूर्ण करता है।

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