Kannauj में आरटीई की हकीकत: निजी स्कूलों ने छिपाईं सीटें, प्री-प्राइमरी का जिक्र नहीं, पात्रों को नहीं मिल पा रहा लाभ
कन्नौज, अमृत विचार। भले ही निशुल्क बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत कॉन्वेंट स्कूलों में 25 फीसदी सीटों पर बच्चों को निशुल्क पढ़ाने का नियम हो लेकिन ज्यादातर विद्यालयों ने पोर्टल पर प्री-प्राइमरी कक्षा का जिक्र नहीं किया है। साथ ही सीटें भी कम दिखाई हैं। इससे पात्रों को लाभ नहीं मिल पा रहा है।
बेसिक शिक्षा विभाग के मुताबिक जनपद के करीब 400 स्कूलों में 7000 से अधिक सीटों पर बच्चों को निशुल्क प्रवेश दिए जाने हैं। इसके तहत दूसरे चरण की ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया चल रही है। मान्यता प्राप्त निजी विद्यालय महकमे को गच्चा देने में माहिर हैं। तहसील तिर्वा इलाके के ज्यादातर विद्यालयों ने मैपिंग भी नहीं कराई है। यूं तो काफी संख्या में निजी विद्यालय संचालित हैं लेकिन प्री-प्राइमरी कक्षा का जिक्र पोर्टल में नहीं किया है।
इससे तीन साल के बच्चों का प्रवेश आरटीई के तहत होता नहीं दिख रहा है। दूसरी खास बात यह है कि संबंधित विद्यालयों में बच्चों की संख्या काफी है लेकिन कम दिखाकर 25 फीसदी का कोटा कम कर दिया है। इन सब कारणों से पात्रों को लाभ मिलना मुश्किल दिख रहा है। चर्चा है कि तिर्वा तहसील के अलावा नगर पंचायत और ब्लॉक उमर्दा का मुख्यालय भी तिर्वा में है। इसके बाद भी प्री-प्राइमरी का स्कूल पोर्टल पर न दिखना कई सवाल खड़े कर रहा है।
कहीं इसी वजह से तो 57 आवेदन नहीं आए
कहा जा रहा है कि कॉन्वेंट स्कूलों की इसी आंकड़ों की बाजीगरी के चक्कर में ही जनपद में आरटीई के तहत कम प्रवेश हो रहे हैं। पहले चरण में कुल 57 आवेदन ही आए हैं। दूसरे चरण की प्रक्रिया 19 जनवरी तक चलेगी। अगर सभी सीटें पोर्टल पर दिखाई जाएं और प्री-प्राइमरी भी दिखे तो यह स्थिति काफी बेहतर हो सकती है।
विभाग की भी मिलीभगत होने की संभावना
जनपद में कई ऐसे निजी विद्यालय संचालित हैं जिन पर विभाग व कुछ अफसरों की कृपा रहती है। इसके चलते दुर्बल व अलाभित वर्ग को आरटीई का लाभ नहीं मिलता है। पिछले साल तो सीटों के मुताबिक 10 फीसदी बच्चों के प्रवेश भी नहीं हो सके थे।