Allahabad High Court's decision : पत्नी की शारीरिक गोपनीयता पति की निजी संपत्ति नहीं
प्रयागराज, अमृत विचार : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पत्नी के अश्लील वीडियो वायरल करने वाले आरोपी पति की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि पति की भूमिका स्वामी या मालिक की नहीं बल्कि एक समान भागीदार की है, जो पत्नी की स्वायत्तता और व्यक्तित्व का सम्मान करने के लिए बाध्य है। अब समय आ गया है कि पति विक्टोरियन युग की पुरानी मानसिकता को त्याग दें और यह समझें कि पत्नी का शरीर उनकी संपत्ति नहीं है।वह अपनी पत्नी द्वारा उस पर जताए गए विश्वास, आस्था और भरोसे का सम्मान करे।
कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि पत्नी की सहमति के बिना अपने अंतरंग संबंधों से संबंधित वीडियो साझा करना पति और पत्नी के बीच के बंधन को परिभाषित करने वाली अंतर्निहित गोपनीयता का घोर उल्लंघन है। उक्त आदेश न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की एकलपीठ ने बृजेश यादव उर्फ बृजेश कुमार द्वारा दाखिल याचिका को खारिज करते हुए पारित किया, जिस पर पत्नी की जानकारी और सहमति के बिना गुप्त रूप से अंतरंग कृत्यों का वीडियो रिकॉर्ड करने और उसके बाद उसे फेसबुक पर अपलोड करने तथा फिर पत्नी के चचेरे भाई के साथ साझा करने का आरोप लगाया गया है।
पति ने आरोप पत्र को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की तथा पुलिस स्टेशन चुनार, मिर्जापुर में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67बी के तहत मामले के आदेश और संपूर्ण आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने की मांग की तथा तर्क दिया कि शिकायतकर्ता का कानूनी रूप से विवाहित पति होने के कारण आईटी अधिनियम की धारा 67बी के तहत उसके खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता है, साथ ही सीआरपीसी की धारा 161 के तहत दर्ज पीड़िता के बयान में अंतर मिलता है तथा ऐसा कोई भी साक्ष्य रिकॉर्ड पर मौजूद नहीं है, जिससे पता चले कि याची ने वीडियो बनाया और उसे इंटरनेट पर अपलोड किया।
अंत में कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि याची शिकायतकर्ता का कानूनी रूप से विवाहित पति है, इसलिए उसके खिलाफ आईटी अधिनियम के तहत कोई अपराध नहीं बनता, लेकिन फेसबुक पर एक अंतरंग वीडियो अपलोड करके याची ने वैवाहिक रिश्ते की पवित्रता का गंभीर उल्लंघन किया है। इस आधार पर कोर्ट ने पति की याचिका खारिज कर दी।
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