आज का संपादकीय: किसानों को राहत

आज का संपादकीय: किसानों को राहत

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को फिर से दोहराया कि सरकार किसानों के कल्याण के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। किसानों को राहत प्रदान करते हुए डीएपी उर्वरक के लिए विशेष पैकेज को 3,850 करोड़ रुपये बढ़ा दिया है। यूरिया के बाद डीएपी भारत में दूसरा सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला उर्वरक है। किसान आमतौर पर इस उर्वरक का प्रयोग बुवाई से ठीक पहले या शुरुआत में ही करते हैं, क्योंकि इसमें फॉस्फोरस की मात्रा अधिक होती है जो जड़ के विकास में वृद्धि करता है। यह यूरिया के समान है, जो उनका पसंदीदा नाइट्रोजन युक्त उर्वरक है, जिसमें 46 प्रतिशत नाइट्रोजन होता है।

गौरतलब है कि सरकार ने एक अप्रैल से 31 दिसंबर, 2024 तक के लिए 3,500 रुपये प्रति टन के हिसाब से डीएपी पर 2,625 करोड़ रुपये का एकबारगी विशेष पैकेज देने की घोषणा की थी। यह पैकेज गैर-यूरिया पोषक तत्वों पर सरकार की तरफ से तय पोषक तत्व-आधारित सब्सिडी (एनबीएस) के अतिरिक्त था। चूंकि भू-राजनीतिक चिंताओं के कारण डीएपी की वैश्विक बाजार कीमतें अस्थिर हैं।

सरकार की ओर से दावा किया गया है किसानों को सस्ती कीमतों पर डीएपी की लगातार उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए यह निर्णय लिया गया है। इस दृष्टि से सरकार ने किसानों के कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए डीएपी उर्वरक की कीमत अपरिवर्तित रखते हुए किसानों को बड़ी राहत दी है। उर्वरकों की कीमतों को नियंत्रित करने में शामिल जटिलताओं के साथ, सरकार गैर-सब्सिडी वाले उर्वरकों के लिए बाजार का विस्तार करने की ओर अपना ध्यान केंद्रित कर रही है। 

केंद्र सरकार उर्वरक निर्माताओं/आयातकों के जरिए किसानों को सब्सिडी मूल्य पर 28 तरह के पीएंडके उर्वरक मुहैया कराती है। इन उर्वरकों पर सब्सिडी का निर्धारण एनबीएस योजना के तहत होता है। एनबीएस योजना के अंतर्गत सब्सिडी प्राप्त पीएंडके उर्वरकों पर डीएपी सहित उनमें निहित पोषक-तत्व के आधार पर सब्सिडी प्रदान की जाती है। किसानों के लिए सब्सिडी दर पर उर्वरक प्राप्त करना अत्यधिक महत्वपूर्ण है ताकि मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखा जा सके।

एनबीएस के अंतर्गत, उर्वरक कंपनियों द्वारा बाजार की गतिशीलता के अनुसार उचित स्तर पर अधिकतम खुदरा मूल्य एमआरपी  तय की जाती है जिसकी निगरानी सरकार द्वारा की जाती है। आर्थिक बोझ सहन कर विशेष पैकेज जारी करने के पीछे सरकार की राजनीतिक मजबूरियों की अनदेखी भी नहीं की जा सकती। कहा जा सकता है कि सरकार ने किसानों के विरोध प्रदर्शन के फिर से जोर पकड़ने की संभावना के मद्देनजर यह फैसला किया है। परंतु किसानों को राहत पहुंचाकर सरकार ने किसानों को सस्ती कीमतों पर डीएपी की उपलब्धता सुनिश्चित करके किसान-हितैषी दृष्टिकोण की प्रतिबद्धता बनाए रखी है।