अलीगढ़: 12 साल में भारत आकर क्या-क्या किया...बांग्लादेशी दंपति का कबूलनामा सुनकर ATS अफसर भी हैरान

बांग्लादेशी/ म्यामांर गिरोह से संपर्क कर अलीगढ़ आया था सिराज

अलीगढ़: 12 साल में भारत आकर क्या-क्या किया...बांग्लादेशी दंपति का कबूलनामा सुनकर ATS अफसर भी हैरान

अलीगढ़, अमृत विचार। अलीगढ़ में 12 साल से रह रहे बांग्लादेशी नागरिक सिराज ने ATS की पूछताछ में बड़े खुलासे किए हैं। आरोपी ने बताया है कि वह 2012 में अपनी प्रेमिका के साथ बांग्लादेश छोड़कर भागा था। पश्चिम बंगाल के बेनापुल बॉर्डर को पार करके दोनों अवैध रूप से भारत में आए थे। यहां आने के बाद उसने यहां पहले से ही रहने वाले बांग्लादेशियों से संपर्क किया।

अवैध रूप से रहने वाले बांग्लादेशियों/म्यंमार के गिरोह से संपर्क करके वह अलीगढ़ पहुंचा। गिरोह के लोगों ने ही उसे अलीगढ़ में किराए पर कमरा दिलाया। झूठे कागज लगाकर फर्जी तरीके से आधार कार्ड बनवाए। फिर आरोपी और उसकी पत्नी भारत के नागरिक बनकर पिछले 12 सालों से यहां रह रहे थे। मुहल्ले में दोनों ने खुद को पश्चिम बंगाल का निवासी बताया था, जिससे कि किसी को शक न हो। 

भारत आकर दोनों ने किया था निकाह
बांग्लादेशी सिराज ने बताया कि वह मूल रूप से बांग्लादेश के साउथि कालामरिधा, थाना भंगा, जिला फरीदपुर ढाका का रहने वाला है। वह अपने मुहल्ले की लड़की हलीमा से प्रेम करता था। दोनों के परिवार वाले उनके रिश्ते को कभी पसंद नहीं करते और उनका निकाह नहीं होने देते। इसलिए वह हलीमा को लेकर घर से भाग निकला था।

हलीमा के साथ वह अवैध रूप से बॉर्डर पार करके भारत आया। भारत में उसे पप्पू नाम का बांग्लादेशी मिला था, जो पहले से यहां रहता था। पप्पू ही उसे लेकर अलीगढ़ आया था। उसने दोनों को रोरावर थाना क्षेत्र के भुजपुरा रोड स्थित मुहल्ला आशिक अली में गुड्‌डू के मकान पर किराए में कमरा दिलवा दिया था। कुछ दिन यहां रहने के बाद दोनों ने अलीगढ़ में ही निकाह कर लिया था।

दस्तावेजों में सिराज का पिता बन गया पप्पू
आरोपी सिराज ने बताया कि निकाह के बाद पप्पू ने ही अलीगढ़ से उसका आधार कार्ड बनवाया था। आधार कार्ड बनवाने के लिए पप्पू ने सिराज के पिता के नाम की जगह अपना नाम डलवा दिया। सिराज ने बताया कि उसके पिता का नाम सोराब मुत्तबर है, जो बांग्लादेश में रहते हैं। लेकिन आधार कार्ड में पप्पू का नाम चढ़ने के बाद पप्पू ही उसका पिता बन गया। खुद का आधार कार्ड बनने के बाद सिराज ने अपनी पत्नी हलीमा का आधार कार्ड बनवाया। इसी के बिनाह पर बैंक एकाउंट, पेन कार्ड, ई-श्रम कार्ड, वोटर आईडी जैसे सारे दस्तावेज तैयार करा लिए और पूर्ण रूप से भारतीय नागरिक बन गए।

साउदी अरब में आरोपी करता था पेंटिंग 
आरोपी सिराज का पासपोर्ट 2016 में बना था। जिसके बाद भारतीय पासपोर्ट से ही साउदी अरब, बांग्लादेश और दुबई की यात्रा कर चुका है। आरोपी सऊदी अरब में 3 साल तक रहकर आया है। वह सऊदी अरब में पेंटिंग का काम करता था। जबकि हलीमा अलीगढ़ में ही रहती थी। हलीमा का पासपोर्ट 25 फरवरी 2022 को जारी किया गया है। इसलिए वह पहले सिराज के साथ यात्रा नहीं कर पाई थी। ATS को आरोपियों के पास से मिले दस्तावेजों के अनुसार हलीमा का जन्म स्थान भी अलीगढ़ ही दिखाया गया है। पासपोर्ट बनने के बाद हलीमा कई बार भारतीय पासपोर्ट से बांग्लादेश जा चुकी है।
 
ग्रीक जाने से पहले पकड़े गए दोनों
सिराज का पासपोर्ट 2016 में बना था, जबकि हलीमा का पासपोर्ट 2022 में जारी हुआ है। यही कारण है कि सिराज अकेला ही गल्फ देशों की यात्रा करता रहा। अब उसकी पत्नी का पासपोर्ट भी बन चुका है, जिसके बाद दोनों ग्रीक जाने की तैयारी में थे। दोनों ने ग्रीक वीजा के लिए आवेदन कर रखा है और इसका वेरिफिकेशन होना था। इसलिए वह वर्तमान में अलीगढ़ में ही मौजूद थे और वेरिफिकेशन कराने आए थे। ATS को संदिग्ध लोगों की सूचना मिली थी, जिसके बाद दोनों को रेलवे स्टेशन के पास से गिरफ्तार किया गया है।

बांग्लादेशी होने के दस्तावेज भी मिले
दोनों आरोपियों की जांच में पुलिस को उनके बांग्लादेशी होने के दस्तावेज भी उनके खुद के पास से ही मिले हैं। हलीमा के पास से उसके बांग्लादेशी पासपोर्ट की फोटो कॉपी बरामद हुई है। इसके अलावा दोनों के बांग्लादेशी जन्म प्रमाण पत्र, बांग्लादेशी पहचान पत्र की फोटो कॉपी भी मिली है। इन दस्तावेजों के अलावा आरोपियों के पास से दोनों के भारतीय आधार कार्ड, पैन कार्ड, एडीएम कार्ड, पासपोर्ट, कोरोना वैक्सीन कार्ड, बैंक पासबुक, दोनों के भारतीय जन्म प्रमाणपत्र, ई श्रम कार्ड, पीसीसी का एप्लीकेशन फार्म और सऊदी अरब का एक पहचान पत्र मिला है। इसके अलावा मोबाइल और रुपए जैसी चीजें बरामद हुई हैं। 

चार महीने से गाजियाबाद में रह रहे दोनों
ATS की पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि अब वह गाजियाबाद के मौलाना अब्दुल कलाम रोड, थाना मसूरी में रह रहे हैं। यहां पर वह एक डॉक्टर के मकान में रह रहे हैं। दोनों ने 4-5 महीने पहले ही अलीगढ़ छोड़ दिया था और गाजियाबाद में ही रहकर नौकरी कर रहे थे। वह अपने वीजा वैरिफिकेशन को ही पूरा कराने के लिए अलीगढ़ आए थे और गिरफ्तार हो गए।

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