साइबर ठग डिजिटल अरेस्ट करें तो घबराएं नहीं: फोन काटकर ब्लैकलिस्ट में डालें...इन नंबरों पर फोन कर शिकायत करें

साइबर ठग डिजिटल अरेस्ट करें तो घबराएं नहीं: फोन काटकर ब्लैकलिस्ट में डालें...इन नंबरों पर फोन कर शिकायत करें

कानपुर, अमृत विचार। इन दिनों साइबर ठगी में डिजिटल अरेस्ट के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है। साइबर सेल क्राइम ब्रांच लोगों को जागरूक करने में लगी है। उनका कहना है कि अगर किसी के साथ ऐसी घटना होती है तो तुरंत साइबर पुलिस हेल्पलाइन नंबर पर सूचना देकर शिकायत दर्ज कराएं। साइबर ठग अगर डिजिटल अरेस्ट कर भी लेते हैं तो घबराएं नहीं। 

साइबर सेल इंस्पेक्टर सुनील कुमार वर्मा ने बताया कि वाट्सएप, फेसबुक, टेलीग्राम कॉलिंग से डिजिटल अरेस्ट करने की धमकी मिले तो डरने की जरूरत नहीं है। साइबर ठग सीबीआई इंस्पेक्टर, कस्टम अधिकारी, इनकम टैक्स अधिकारी, ईडी अधिकारी आदि बनकर फोन करते हैं और फर्जी आरोप लगाकर धमकाते हैं। 

पीड़ित डर जाता है तो मोटी रकम ऐंठ लेते हैं। इंस्पेक्टर के अनुसार अगर किसी के पास इस तरह का कोई फोन आता है तो वह बिल्कुल न डरे, बल्कि फोन काटकर उस नंबर को ब्लैक लिस्ट में डाल दे। पुलिस या कोई अन्य विभाग कभी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से कॉल कर लोगों को थाने नहीं बुलाती। 

यहां कर सकते हैं शिकायत 

- साइबर हेल्पलाइन 1930
- डायल-112

डिजिटल अरेस्ट में यह होता है 

- अंजान नंबर से व्हाट्सएप पर वीडियो कॉल आती है।
- किसी मामले में फंसने या परिजन के किसी मामले में पकड़े जाने का जानकारी दी जाती है।
- धमकी देकर वीडियो कॉल पर लगातार बने रहने के लिए मजबूर किया जाता है।
- स्कैमर्स मनी लॉन्ड्रिंग, ड्रग्स का धंधा या अन्य अवैध गतिविधियों का आरोप लगाते हैं।
- पीड़ित को परिवार या फिर किसी को भी इस बारे में कुछ न बताने की धमकी दी जाती है।
- वीडियो कॉल करने वाले व्यक्ति का बैकग्राउंड पुलिस स्टेशन जैसा नजर आता है।
- पीड़ित को लगता है कि पुलिस उससे ऑनलाइन पूछताछ कर रही है 
- किसी भी मामले को बंद करने और गिरफ्तारी से बचने के लिए मोटी रकम की मांग की जाती है।

इन चीजों से हो जाएं जागरूक 

- पुलिस अधिकारी कभी भी अपनी पहचान बताने के लिए वीडियो कॉल नहीं करेंगे।
- कभी भी आपको कोई एप डाउनलोड करने के लिए नहीं कहेंगे।
- पहचान पत्र, मुकदमे की कॉपी और गिरफ्तारी वारंट ऑनलाइन नहीं भेजा जाता।
- पुलिस अधिकारी कभी भी वॉयस या वीडियो कॉल पर बयान दर्ज नहीं करते हैं।
- पुलिस अधिकारी कॉल पर पैसे या पर्सनल जानकारी देने के लिए डराते-धमकाते नहीं हैं।
- कानून में डिजिटल अरेस्ट का प्रावधान नहीं है, क्राइम करने पर असली गिरफ्तारी होती है।

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