घुटने का कभी नहीं होता ट्रांसप्लांट, होती है रिपेयरिंग, जानिये क्या बोले पूर्व प्रधानमंत्री के डॉक्टर
लखनऊ, अमृत विचार। यदि किसी व्यक्ति का घुटना खराब हो जाता है, तो डॉक्टर उसको घुटना प्रत्यारोपण (ट्रांसप्लांट) की सलाह देते हैं, लोग भी यही समझते हैं कि उनका घुटना प्रत्यारोपण (नी-ट्रांसप्लांट) होना है, लेकिन असल में घुटना ट्रांसप्लांट नहीं होता है, बल्कि घुटना रिपेयर किया जाता है। यह जानकारी यूपी आर्थोप्लास्टी सोसायटी के चेयरमैन डॉ. अमल शंकर प्रसाद ने दी है।
वह शुक्रवार को लखनऊ स्थित एक निजी होटल में यूपी आर्थोप्लास्टी सोसायटी की तरफ से आयोजित दो दिवसीय आर्थोप्लास्टी कोर्स के बारे में पत्रकारों को बता रहे थे।
उन्होंने बताया कि जिस तरह खराब दांतों को ठीक करने के लिए उसके ऊपर कैपिंग की जाती है, ठीक उसी तरह घुटनों पर भी कैपिंग की जाती है। शुरुआत में स्टील, बाद में टाइटेनियम और अब सिरेमिक धातु की कैप लगाई जाती है। इसी को नी-ट्रांसप्लांट कहा जाता है, जबकि सही शब्द नी रिपेयरिंग है, लेकिन आम लोगों में नी ट्रांसप्लांट यानी घुटना प्रत्यारोपण ही प्रचलन में है। किसी से यदि घुटना रिपेयरिंग शब्द का प्रयोग किया जाये, तो लोग उसे ठीक नहीं मानेंगे। इसलिए घुटना प्रत्यारोपण (नी-ट्रांसप्लांट ) ही कहा जाता है।
डॉ. अमल शंकर प्रसाद पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के घुटना प्रत्यारोपण के समय पीएमओ की तरफ से ऑब्जर्वर के तौर पर तैनात किये गये थे। जब अटल जी की सर्जरी हो रही थी, तब वह ओटी में ही मौजूद थे।
बता दें कि यूपी आर्थोप्लास्टी सोसायटी की तरफ से लखनऊ में दो दिवसीय आर्थोप्लास्टी कोर्स का आयोजन किया जा रहा है। 21 दिसंबर से शुरू होने वाले इस कोर्स में भारत, नेपाल,मलेशिया, फिलीपींस समेत अन्य देशों से करीब 300 डॉक्टर प्रशिक्षण लेने लखनऊ पहुंचेंगे। कोर्स के दौरान डॉक्टरों को ज्वाइंट रिप्लेसमेंट के क्षेत्र में नवीन तकनीक की जानकारी दी जायेगी। इतना ही नहीं उनके कौशल को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण भी दिया जायेगा।
इस ज्वाइंट रिप्लेसमेंट ज्ञान और प्रशिक्षण कोर्स के आयोजन में डॉ.अमल शंकर प्रसाद, डॉ.आनंद निगम,डॉ. विनय गुप्ता, डॉ. विशाल अग्रवाल, डॉ.शुभ मेहरोत्रा, डॉ. अमित वर्मा, डॉ. राजेश जैन, डॉ.लोकेंद्र सिंह, डॉ.अमित जायसवाल, डॉ.चंदन कुमार, डॉ.रवि गर्ग, डॉ.दक्ष, डॉ.मानव का प्रमुख योगदान है।
यह भी पढ़ेः Lucknow University: ऑनलाइन कोर्सेज के साथ अपग्रेड होना जरूरी, MOOC की संगोष्ठी का आयोजन