बरेली: दीपावली कल, तीन ग्रहों का बन रहा अद्भुत संयोग

बरेली, अमृत विचार। दीपावली पंचोत्सव की शुरूआत हो चुकी है। पांच दिनों तक चलने वाले दीपावली महापर्व के पहले दिन धनतेरस मनाया जाता है। दीपावली की शाम मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। धन, सुख और समृद्धि पाने के लिए इस पर्व पर लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व होता है। इस …
बरेली, अमृत विचार। दीपावली पंचोत्सव की शुरूआत हो चुकी है। पांच दिनों तक चलने वाले दीपावली महापर्व के पहले दिन धनतेरस मनाया जाता है। दीपावली की शाम मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। धन, सुख और समृद्धि पाने के लिए इस पर्व पर लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन मां लक्ष्मी की कृपा रहे इसके लिए किस समय में पूजन करना लाभदायक होगा, इसके लिए अलग अलग प्रावधान है।
माडल टाउन स्थित श्री हरि मंदिर के महंत आचार्य सुनील बताते हैं कि इस बार दीपावली पर तीन ग्रहों का अद्भुत संयोग बन रहा है। उन्होंने बताया कि व्यापारिक प्रतिष्ठान, शोरूम, दुकान, गद्दी की पूजा, कुर्सी की पूजा, गल्ले की पूजा, तुला पूजा, मशीन-कंप्यूटर, कलम-दवात आदि की पूजा का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 09 मिनट से आरम्भ हो जाएगा। इसी के मध्य चर, लाभ और अमृत की चौघड़ियां भी विद्यमान रहेंगी, जो शाम 04 बजकर 05 मिनट तक रहेंगी।
गृहस्थों के लिए पूजन का श्रेष्ठ मुहूर्त और प्रदोषकाल
शाम 5 बजकर 24 मिनट से रात्रि 8 बजकर 06 तक प्रदोषकाल मान्य रहेगा। इसके मध्य रात्रि 7 बजकर 24 मिनट से सभी कार्यों में सफलता और शुभ परिणाम दिलाने वाली स्थिर लग्न वृषभ का भी उदय हो रहा है। प्रदोष काल से लेकर रात्रि 7 बजकर 5 मिनट तक लाभ की चौघड़िया भी विद्यमान रहेगी। यह भी मां श्रीमहालक्ष्मी और गणेश की पूजा के लिए श्रेष्ठ मुहूर्तों में से एक है। इसी समय परम शुभ नक्षत्र स्वाति भी विद्यमान है जो 8 बजकर 07 मिनट तक रहेगा। सभी गृहस्थों के लिए इसी समय के मध्य में मां श्रीमहालक्ष्मी जी की पूजा-आराधना करना श्रेष्ठतम रहेगा।
अतिशुभ मुहूर्त निशीथ काल
जप-तप पूजा-पाठ आराधना तथा विद्यार्थियों के लिए मां श्री महासरस्वती की वंदना करने का समय रात्रि 8 बजकर 06 से 10 बजकर 49 तक रहेगा। ईष्ट साधना तथा तांत्रिक पूजा के लिए श्रेष्ठ मुहूर्त महानिशीथ काल घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर करने वाली मां श्री महाकाली, प्रेत बाधा से मुक्ति दिलाने वाले भगवान श्रीकालभैरव की पूजा, तांत्रिक जगत तथा ईष्ट साधना के लिए सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त महानिशीथ काल रात्रि 10 बजकर 49 मिनट से शुरू होकर मध्य रात्रि 1 बजकर 31 मिनट तक रहेगा।