पीलीभीत: गोवंश के भूसे चारे में भी घोटाला, प्रधान पुत्र भी कर गया 2.5 लाख रुपये से अधिक का खेल
पीलीभीत, अमृत विचार: गोशाला में गोवंशों के हरे-चारे और भूसे के नाम पर प्रधान-सचिव ने लाखों रुपये का खेल कर डाला। बीडीओ द्वारा कराई गई जांच में खुलासा हुआ है। जांच में प्रधान पुत्र द्वारा भी खाते से 25 लाख रुपये से अधिक की रकम निकालना पाया गया। फिलहाल खंड विकास अधिकारी द्वारा जांच रिपोर्ट सीडीओ को भेजी गई है। प्रथम दृष्टया जांच में ग्राम प्रधान एवं सचिव दोषी पाए गए हैं।
मामला बरखेड़ा ब्लाक की ग्राम पंचायत खजुरिया पचपेड़ा का है। गांव निवासी सुरजीत सिंह, रामऔतार, गंगासरन आदि ग्रामीणों ने डीएम समेत आईजीआरएस पोर्टल पर की शिकायत में ग्राम पंचायत की अस्थाई गोशाला को मिली लाखों रुपये की धनराशि कई बार में ग्राम प्रधान एवं एवं उसके पुत्र के नाम से आहरित करने का आरोप लगाया गया था। कहा गया कि उपलब्ध धनराशि में से 15,56167 रुपये हरा चारा, भूसा एवं चोकर पर खर्च होना दर्शाया गया, मगर इसका ब्यौरा नहीं दिया गया है।
धनराशि दुरुपयोग होने की आशंका जताते हुए जांच कराने की मांग की गई। खंड विकास अधिकारी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सहायक विकास अधिकारी (आईएसपी) केपी सिंह एवं लघु सिंचाई के अवर अभियंता दीनबंधु गाइन से जांच कराई। जांच अधिकारी की आख्या के मुताबिक पंचायत सचिव के स्तर से प्राप्त बैंक स्टेटमेंट के अनुसार खजुरिया पचपेड़ा अस्थाई गोशाला में 15,70,210 रुपये की धनराशि शासन स्तर से प्राप्त होने के बाद आहरित की गई।
जांच में पाया गया कि रोजगार सेवक द्वारा 4,39000 रुपये आहरित किए गए। इस संबंध में रोजगार सेवक ने जांच अधिकारी को दिए अपने लिखित बयान में बताया कि उसके द्वारा आहरित की गई धनराशि नगद रुप में ग्राम प्रधान को प्राप्त करा दी जाती है। वहीं जांच में ग्राम प्रधान द्वारा 4,62610 रुपये निकालने के मामले में ग्राम प्रधान ने अपने लिखित बयान में बताया कि शासन से प्राप्त धनराशि समय पर न मिलने के कारण वह अपने पास से हरा चारा, भूसा और चोकर आदि को खरीदकर भुगतान की राशि अपने पास से विभिन्न फर्मों को भुगतान कर दिया जाता था।
जांच में ग्राम प्रधान के पुत्र द्वारा भी 2,53,600 रुपये खाते से निकालना पाया गया। इस संबंध में ग्राम प्रधान ने अपने बयान में अवगत कराया कि उन्होंने अपने नाम और पुत्र के नाम से चेक के माध्यम से गोशाला के खाते से भुगतान लिया जाता था और समय-समय पर खरीदी की गई सामग्री का भुगतान उनके एवं उनके पुत्र के द्वारा सामग्री सप्लायर को नगद कर दिया जाता था।
जांच में फंस गए प्रधान व सचिव
जांच में पाया गया कि रोजगार सेवक द्वारा कोई भी सामग्री स्वयं नहीं खरीदी गई थी, उनके नाम से मात्र भुगतान लिया जाता था। इसके अलावा प्रधान के पुत्र के नाम से धनराशि आहरित किया जाना संदिग्धता की श्र्रेणी में आता है। वहीं ग्राम प्रधान द्वारा अत्याधिक धनराशि का भुगतान पेड वाय मी (मेरे द्वारा) आहरित करना बताया गया, मगर उसके के संबंध में कोई भी बिल बाउचर जांच अधिकारी को नहीं दिखाए गए।
आख्या के अनुसार पंचायत सचिव द्वारा बिना परीक्षण एवं नियम विरुद्ध ढंग से भुगतान किया गया। जांच आख्या में पंचायत सचिव एवं ग्राम प्रधान को पूर्ण रूप से दोषी बताया गया। फिलहाल जांच रिपोर्ट सीडीओ को भेजी गई है। इस मामले में अब ग्राम प्रधान एवं पंचायत सचिव पर गाज गिरना तय माना जा रहा है।
मुख्य विकास अधिकारी के निर्देश पर खजुरिया पचपेड़ा मामले की जांच कराई गई थी। जांच अधिकारी ने जांच कर रिपोर्ट दे दी है। जांच आख्या मुख्य विकास अधिकारी को भेजी गई है- प्रेम सिंह, खंड विकास अधिकारी, विकासखंड बरखेड़ा।
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