नैनीताल की ऐतिहासिक धरोहर एशिया का पहला मेथोडिस्ट चर्च, 1860 में पहली बार हुई थी क्रिसमस प्रार्थना

1860 में पहली बार हुई थी क्रिसमस की प्रार्थना सभा, देशभर से पर्यटक पहुंचते हैं चर्च में

नैनीताल की ऐतिहासिक धरोहर एशिया का पहला मेथोडिस्ट चर्च, 1860 में पहली बार हुई थी क्रिसमस प्रार्थना

गौरव जोशी, नैनीताल। ऐतिहासिक नगरी नैनीताल, जो अपनी खूबसूरती और विविध धार्मिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है, यहां का मेथोडिस्ट चर्च खास महत्व रखता है। मल्लीताल माल रोड पर स्थित इस चर्च को एशिया का पहला मेथोडिस्ट चर्च माना जाता है। जिसकी नींव 1858 में रखी गई थी। इस चर्च का निर्माण अमेरिकी मेथोडिस्ट मिशनरी विलियम बटलर ने किया, जो 1857 के आंदोलन के दौरान सुरक्षा की दृष्टि से बरेली से नैनीताल पहुंचे थे।


 चर्च का निर्माण लगभग दो साल में पूरा हुआ और 1860 में यहां पहली बार क्रिसमस की प्रार्थना सभा का आयोजन हुआ। हर साल क्रिसमस के मौके पर इस चर्च में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। 24 दिसंबर को क्रिसमस की पूर्व संध्या पर केक काटने और विशेष प्रार्थनाओं का आयोजन किया जाता है। यहां होने वाली प्रार्थनाओं में न केवल स्थानीय लोग बल्कि दूर-दूर से आने वाले पर्यटक भी शामिल होते हैं। इसके अलावा, नैनीताल के अन्य चर्चों जैसे कैथोलिक और सेंट जोन्स चर्च में भी क्रिसमस के अवसर पर विशेष कार्यक्रम होते हैं, जो नगर की खूबसूरती में चार चांद लगा देते हैं।

 

काउंटी चर्च के रूप में हुआ था निर्माण


इतिहासकार प्रो. अजय रावत के अनुसार, मेथोडिस्ट चर्च का निर्माण काउंटी चर्च के रूप में हुआ था। यह शहर के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। क्रिसमस और नववर्ष के दौरान यहां का माहौल और भी रोमांचक हो जाता है, जब देशभर से पर्यटक यहां पहुंचते हैं। उन्होंने बताया कि 22 सितंबर 1858 को विलियम बटलर नैनीताल पहुंचे और तत्कालीन कमिश्नर सर हेनरी रैमजे के सहयोग से मल्लीताल स्थित पुराने रिक्शा स्टैंड के पास चर्च की स्थापना की। 16वीं सदी से पहले क्रिसमस का त्यौहार छह दिसंबर को मनाया जाता था। 14वीं और 15वीं शताब्दी में धार्मिक आंदोलनों में सेंट निकोलस को अत्यधिक महत्व दिया गया।