प्रयागराज : अधिवक्ताओं की हड़ताल के कारण किसी वादकारी को 'रेमेडी लेस' नहीं छोड़ा जा सकता
अमृत विचार, प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने किराएदारी विवाद में गाजियाबाद में अधिवक्ताओं की हड़ताल के कारण परेशान याची के मामले पर विचार करते हुए कहा कि वकालत एक नोबल प्रोफेशन है। कोई भी अधिवक्ता न्यायिक अधिकारी को न्यायिक कार्य करने और किसी वादकारी को न्याय पाने के लिए न्यायालय आने से नहीं रोक सकता है। कोर्ट ने गाजियाबाद के अधिवक्ताओं के प्रति दुख और चिंता जताते हुए कहा कि उम्मीद है कि गाजियाबाद के अधिवक्ता कभी भी किसी अधिकारी को न्यायालय आने से नहीं रोकेंगे।
कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि अगर अधिवक्ता अपनी हड़ताल जारी रखते हैं तो न्यायिक अधिकारी अपना न्यायिक कार्य जरूर करेंगे। अगर वादकारी अपने केस में बहस करना चाहता है तो जिला जज के परामर्श से जिला प्रशासन उसे पुलिस संरक्षण दे। अधिवक्ताओं की हड़ताल के कारण किसी भी वादकारी को 'रेमेडी लेस' नहीं छोड़ा जा सकता है। उक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति अजीत कुमार की एकलपीठ ने आशुतोष कुमार पाठक की याचिका को निस्तारित करते हुए की। दरअसल किरायेदारी विवाद में अधिवक्ताओं की हड़ताल के कारण अपील दाखिल करने के बजाय हाईकोर्ट आए वादकारी को कोर्ट ने दो हफ्ते में अधिकरण के समक्ष अपील दाखिल करने तथा संबंधित पीठासीन अधिकारी को उसके एक हफ्ते के भीतर अपील के साथ स्थागनादेश अर्जी पर उचित आदेश पारित करने का निर्देश दिया है।
याची का दावा है कि 8 नवंबर 2024 के आदेश के अनुपालन में प्राधिकारी ने मकान मालिक के पक्ष में मकान खाली करने का आदेश दिया, लेकिन गाजियाबाद में अधिवक्ताओं के हड़ताल पर होने के कारण अपील दाखिल करने का वैकल्पिक उपचार होने के बावजूद अपील दाखिल नहीं हो पाई। न्याय पाने में कठिनाई हो रही है। इस कारण उसे हाईकोर्ट आना पड़ा।
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