Kanpur: कार्डियोलॉजी में एक ही कैथ लैब चालू, मरीज करते इंतजार, रोज 100 मरीजों को जरूरत पड़ती, 60 मरीजों को ही मिलती सुविधा

वैस्कुलर सर्जरी के लिए 37 करोड़ रुपये से बनाई जाएगी तीन कैथ लैब

Kanpur: कार्डियोलॉजी में एक ही कैथ लैब चालू, मरीज करते इंतजार, रोज 100 मरीजों को जरूरत पड़ती, 60 मरीजों को ही मिलती सुविधा

कानपुर, अमृत विचार। कार्डियोलॉजी संस्थान में प्रतिदिन 100 से अधिक मरीजों को वैस्कुलर सर्जरी की जरूरत होती है, लेकिन यहां पर वर्तमान में 50 से 60 मरीजों को ही वैस्कुलर सर्जरी की सुविधा मिल रही है। यहां पर दो कैथ लैब हैं, लेकिन काम सिर्फ एक ही कर पा रही है। दूसरे को सिर्फ वैकल्पिक व्यवस्था के तहत संचालित किया जाता है। ऐसे में मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। 

रावतपुर स्थित कार्डियोलॉजी संस्थान में इन दिनों प्रतिदिन 1200 से 1300 मरीज मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। जिनमे से 100 से अधिक मरीजों को वैस्कुलर सर्जरी की जरूरत होती है। उनमें से सिर्फ 50 से 60 मरीजों को ही एक दिन में वैस्कुलर सर्जरी की सुविधा मिल पा रही है। अन्य मरीजों को वेट करना पड़ता है। कार्डियोलॉजी में दो कैथ लैब हैं। इनमें से एक जर्जर स्थिति में है। इस वजह से एंजियोप्लास्टी, एंजियोग्राफी, स्टेंट और पेसमेकर के लिए आने वाले मरीजों को इंतजार करना पड़ता है। 

तीन आधुनिक कैथलैब बनेंगी

कॉर्डियोलॉजी के निदेशक डॉ.आरके वर्मा ने बताया कि संस्थान में तीन आधुनिक कैथलैब का निर्माण 37 करोड़ रुपये से कराया जाना प्रस्तावित है। प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा गया है। शासन ने प्रशासनिक व वित्तीय स्वीकृति प्रदान कर दी है। लैब के निर्माण की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश राज्य कल्याण निगम को दी गई है। इनमें एक सर्जरी की कैथलैब और दो मेडिसिन की कैथलैब होंगी। 

एक दिन में 100 से 150 मरीजों को मिलेगा लाभ  

निदेशक डॉ.आरके वर्मा ने बताया कि तीन आधुनिक कैथलैब बनने से एक दिन में मशीनों की क्षमता के अनुसार 100 से 150 मरीजों को इसका लाभ मिलेगा। दावा है कि सर्जरी कैथलैब (वैस्कुलर कैथलैब) उत्तर प्रदेश की पहली कैथलैब होगी। इसमें खास बात ये होगी कि बिना चीरफाड़ के बंद नसों को खोला जा सकेगा। ओपन हार्ट सर्जरी की तुलना में ब्लड लॉस, इंफेक्शन और अन्य जटिलताओं का खतरा कम होगा। 

कैथलैब की खासियतें 

-कैथलैब में सिर्फ सर्जरी ही नहीं होती है, अन्य तरह के इलाज भी हो सकते हैं। 
-मिनिमली इनवेसिव तकनीकी से इलाज में ज्यादा चीरफाड़ की जरूरत नहीं होती।
-एक पतली ट्यूब (कैथेटर) को रक्त वाहिकाओं के माध्यम से हृदय तक पहुंचाया जाता है। 
-कैथलैब मेडिसिन में हृदय की धमनियों का एक्सरे, एंजियोग्राफी व एंजियोप्लास्टी होगी।
- स्टेंट लगाना, पेसमेकर लगाना, वाल्व रिप्लेसमेंट और बायपास सर्जरी भी होती है।
- कैथलैब सर्जरी (हाईब्रिड कैथलैब या वैस्कुलर कैथलैब) से नसों में रुकावट दूर की जाएगी। 
-अगर नस डैमेज हो जाए तो अलग से नस लगाई भी जाती है।
-ओपन हार्ट सर्जरी की तुलना में इंफेक्शन, अन्य जटिलता व ब्लड लॉस कम होगा।

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