शाहजहांपुर : तीन-तीन साल से फाइल लंबित, डीएम ने तहसीलदार और नायब तहसीलदार से मांगा स्पष्टीकरण

पुवायां तहसील पहुंचे जिलाधिकारी, सरकार ने 90 दिन में निस्तारण का दिया है निर्देश

शाहजहांपुर : तीन-तीन साल से फाइल लंबित, डीएम ने तहसीलदार और नायब तहसीलदार से मांगा स्पष्टीकरण

पुवायां/शाहजहांपुर, अमृत विचार। पुवायां तहसीलदार और नायब तहसीलदार के कार्यालय का डीएम धर्मेंद्र प्रताप सिंह ने सोमवार को आकस्मिक निरीक्षण किया। इस दौरान वादों की फाइल की स्थिति बहुत खराब मिली। वादों की फाइल का निस्तारण नियमानुसार 90 दिन में होना चाहिए था, लेकिन तीन-तीन साल पुरानी लगभग 200 फाइल डीएम को पेंडिंग मिलीं। इस पर डीएम का पारा चढ़ गया। उन्होंने गहरी नाराजगी जताते हुए तहसीलदार और नायब तहसीलदार से जवाब तलब किया। इस मामले में कुछ अन्य अधिकारी व कर्मचारियों पर भी कार्रवाई हो सकती है।

तारीख पर तारीख सिर्फ न्यायालयों में नहीं मिलती बल्कि प्रशासनिक अधिकारियों के कोर्ट भी तारीख पर तारीख देकर लोगों को दुर्दशा का शिकार बना रहे हैं। लोग सालों साल न्याय के लिए भटकते रहते हैं, लेकिन उनकी कोई नहीं सुनता। एसडीएम पुवायां, तहसीलदार और नायब तहसीलदार पुवायां की कोर्ट इसकी बानगी मात्र हैं। वर्तमान में जिले की सभी तहसीलों में सबसे ज्यादा फाइल पुवायां तहसील में पेंडिंग हैं। सोमवार को डीएम पुवायां तहसील पहुंचे। यहां उन्होंने मुकदमों की स्थिति देखी। पता चला कि सरकार ने तो वादों के निस्तारण के लिए 90 दिन का समय दिया है, लेकिन यहां तहसीलदार और नायब तहसीलदार के यहां तीन-तीन साल पुरानी फाइल लंबित हैं। वादकारी लगातार चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन अधिकारियों के पास उनकी समस्या सुनने के लिए समय ही नहीं है। डीएम ने जब लंबित वादों की परतें उधेड़ीं तो पता चला कि 200 से ज्यादा फाइलें यहां ऐसी लंबित हैं जिन्हें तीन साल से ज्यादा समय हो चुका है। इस पर डीएम ने गहरी नाराजगी जताई। तहसीलदार और नायब तहसीलदार से जवाब तलब किया। डीएम धर्मेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि फाइल लंबित होने के मामले में तहसीलदार और नायब तहसीलदार से स्पष्टीकरण मांगा गया है। इस प्रकरण में कुछ अन्य पर भी कार्रवाई हो सकती है।

अंश निर्धारण को भटक रहे किसान
जिले में सैकड़ों किसान सरकारी मशीनरी की गलती की सजा भुगत रहे हैं। सरकार ने खतौनी में सभी हिस्सेदारों की जमीन का अंश निर्धारण कराया। इससे यह स्पष्ट होना था कि किसके नाम पर कितनी जमीन है। सरकार का यह कदम बहुत प्रशंसनीय बताया जा रहा था। कहा गया कि अब सभी को पता चल सकेगा कि उसके नाम पर कितनी जमीन है, लेकिन यह कदम सैकड़ों किसानों के लिए नासूर बन गया। लेखपालों की गलती ने किसी व्यक्ति की जमीन किसी अन्य के नाम चढ़वा दी है। किसी की जमीन का कोई अन्य मालिक बन बैठा। यह एक तरह का जमीन घोटाला है। अगर इसके पीछे सरकारी मशीनरी के अलावा कोई अन्य होता तो इसे घोटाला मानकर कार्रवाई की जाती, लेकिन चूंकि यह गलती लेखपालों की है इसलिए सब चुप हैं।

एसडीएम के पास चक्कर लगा रहे किसान
सालों से अंश निर्धारण की फाइल लंबित हैं। अंश ठीक कराने के लिए किसान एक अधिकारी से दूसरे के पास चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। सिर्फ पुवायां तहसील में अंध निर्धारण की लगभग दो सौ फाइल पेंडिंग बताई जा रही हैं। सरकारी मशीनरी की गलती के चलते लोग दर-दर भटक रहे हैं। किसान लगातार एसडीएम संजय पांडेय के पास चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो पा रही है।