बरेली: इज्जतनगर का 'बेटल ऑफ रेजांगला इंजन' बताएगा भारत-चीन जंग के जांबाजों की वीरगाथा
1962 के युद्ध में शामिल सैनिकों का जीवन परिचय इंजन पर अंकित
बरेली, अमृत विचार। युद्ध में शहीद सैनिकों की गाथा को जन-जन तक पहुंचाने के लिए रेलवे ने सेना के साथ मिलकर नई पहल की है। उसने पूर्वोत्तर रेलवे इज्जनगर में बेटल आफ रेजांगला के नाम से दो इंजन तैयार किए हैं। इन पर चीन के साथ हुए युद्ध के वीर सैनिकों की जीवन गाथा को उकेरा गया है। सोमवार को इनका अनावरण होगा।
पूर्वोत्तर रेलवे इज्जतनगर के डीजल शेड में दोनों इंजन तैयार हो चुके हैं। इंजन का नामकरण बेटल आफ रेजांगला यानी रेजांगला की लड़ाई के नाम से किया गया है। मेंटीनेंस को आए इंजन में सेना वाले हरे रंग में पेंट कर उसमें वीर सैनिक के नाम और उनका जीवन परिचय अंकित किया गया है। इंजन को रेजांगला नाम देने के पीछे भी यही उद्देश्य है। 1962 में भारत चीन युद्ध जिस स्थान पर हुआ था, वह रेजांगला था। यह लड़ाई कुमाऊं रेजीमेंट के सपूतों ने लड़ी थी। इस सैन्य टुकड़ी के सिर्फ 120 जवानों ने चीन की बड़ी सेना का डटकर मुकाबला किया और उसके 1200 सैनिकों को मार गिराया था। इज्जतनगर मंडल के जनसंपर्क अधिकारी राजेंद्र सिंह ने बताया कि बेटल आफ रेजांगला नाम से दो इंजनों को सोमवार को कुमाऊं रेजीमेंट के बिग्रेडियर और डीआरएम इज्जतनगर इसे हरी झंडी दिखाएंगे। वीर सैनिकों के जीवन परिचय का इंजन पर उल्लेख होगा।
1788 में हुई थी कुमाऊं रेजीमेंट की स्थापना
कुमाऊं रेजीमेंट की स्थापना वर्ष 1788 में हुई थी। जिसका मुख्यालय उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के रानीखेत में है । भारतीय सेना के वीरता का प्रथम सर्वश्रेष्ठ सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित है। कुमाऊं रेजीमेंट को 1947 में हुए भारत-पाकिस्तान, 1962 के भारत और चीन युद्ध के लिए विशेष गौरवपूर्ण माना जाता है। सूत्रों के मुताबिक रक्षा और रेल मंत्रालय के बीच हुई उच्चस्तरीय वार्ता के बाद यह पहल की गई है। पिछले दिनों सेना के अफसरों ने भी डीजल शेड में इस कार्य का निरीक्षण किया था।