बरेली: दस साल में दुनिया का मेडिकल हब बनकर उभरेगा हिंदुस्तान-राम लाल

बरेली इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के पांचवे दीक्षांत समारोह में 875 विद्यार्थियों को मिली डिग्री

बरेली: दस साल में दुनिया का मेडिकल हब बनकर उभरेगा हिंदुस्तान-राम लाल

बरेली, अमृत विचार। दुनिया में आईटी सेक्टर दिन-प्रतिदिन प्रगति कर रहा है। यहां आईटी का मतलब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस नहीं, बल्कि इंडियन टैलेंट है। आने वाले दस साल में इसी इंडियन टैलेंट के दम पर भारत विश्व में मेडिकल हब बनकर उभरेगा, जिसका पूरा श्रेय देश के मेडिकल कॉलेज के सभी फैकल्टी और प्रबंधन को जाता है। जिनके अथक प्रयास से इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए भविष्य के डॉक्टरों को तैयार किया जा रहा है। ये बात बरेली इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के पांचवें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे राष्ट्रीय स्वयं सेवक के अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख राम लाल ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कही।

बरेली इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी की ओर से शनिवार को पांचवें दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया। समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रीय स्वयं सेवक के अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख राम लाल रहे। समारोह की औपचारिक शुरुआत  कुलपति डॉ लता अग्रवाल ने कुलाधिपति डॉ केशव अग्रवाल से अनुमति के साथ की। सरस्वती वंदना और दीप प्रज्वलन के साथ समारोह की शुरुआत हुई। कुलपति डॉ लता अग्रवाल ने बताया कि दीक्षांत समारोह में कुल 875 डिग्रियां वितरित की गईं। इसमें स्नातक के 604, परास्नातक 254, 12 पीएचडी और पांच पीजी प्रोफेशनल कोर्सेज के विद्यार्थियों को डिग्री वितरित की गईं। इसमें स्वर्गीय मुरली लाल स्मृति शुद्ध स्वर्ण पदक डॉ आयुषी वर्मा और स्वर्गीय राजेंद्र गुप्ता स्मृति शुद्ध स्वर्ण पदक डॉ वैतरणी को दिया गया। इसके साथ एमबीबीएस, बीडीएस, नर्सिंग समेत अन्य विद्यार्थियों को पदक और डिग्रियां दी गईं। 

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विद्यार्थियों को दिए आशीर्वचन
समारोह में कुलाधिपति डॉ केशव अग्रवाल, प्रतिकुलाधिपति डॉ अशोक कुमार अग्रवाल, कुलपति डॉ लता अग्रवाल व प्रति कुलपति डॉ किरण अग्रवाल ने विद्यार्थियों को आशीर्वचन दिये। समारोह में विशिष्ट अतिथियों में कैंट विधायक संजीव कुमार अग्रवाल, बिथरी चैनपुर के विधायक डॉ राघवेंद्र शर्मा, नवाबगंज विधायक डॉ एमपी आर्य समेत अन्य लोग मौजूद रहे।

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बीआईयू में शिक्षा के साथ संस्कार भी मिल रहे
आरएसएस के अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख  राम लाल ने कहा कि बरेली इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी की प्रगति हुई है। वह पहले भी यहां आ चुके हैं, जबसे अब काफी बदलाव आया है। उन्होंने कहा कि ये बात अच्छी लगी कि बरेली इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी शिक्षा के साथ-साथ समाज सेवा व राष्ट्र पहले की भावना को भी बढ़ावा दे रहा है। सभी शिक्षण संस्थानों को इससे प्रेरण लेनी चाहिए। क्योंकि केवल शिक्षा से काम नहीं चलता, साथ में संस्कार भी चाहिए। जिस देश समाज में हम रहते हैं उसके प्रति संवेदनशील होना भी जरूरी है। ये काम बीआईयू में हो रहा है।

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सच्चे मन से लोगों का दुख दर्द करें दूर
बरेली इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति डॉ. केशव अग्रवाल ने बताया कि 800 से ज्यादा विद्यार्थियों को डिग्रियों का वितरण किया गया है। काफी संख्या में विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल भी दिए गए। उन्होंने कहा यहां से निकले विद्यार्थी ऐसा काम करें कि लोग पूछने को मजबूर हो जाएं कि उन्होंने कहां से शिक्षा हासिल की। मेडिकल के विद्यार्थियों को संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें धरती पर ईश्वर का स्वरूप माना गया है। लिहाजा लोगों के दुख दर्द तन मन धन के साथ दूर करने की कोशिश करें।

डॉक्टर बनने के बाद कोई गलती नहीं माफ
बीआईयू की कुलपति डॉ लता अग्रवाल ने कहा कि दीक्षांत एक नई शुरुआत है। शुरुआत में जब आप जाते हैं तो नए होते हैं और हर कदम सोच समझकर उठाते हैं। कॉलेज के अंदर गलतियां माफ होती हैं, मगर डॉक्टर के लिए किसी गलती की माफी नहीं है। उन्होंने विद्यार्थियों को संदेश देते हुए कहा कि पैसा तो इस क्षेत्र में अपने आप आ जाता है, बस जरूरत है कि कोई भी काम पूरी गंभीरता और बिना किसी गलती के किया जाए।

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प्रगति के लिए जिज्ञासा रखने की जरूरत
प्रति कुलपति डॉ किरण अग्रवाल ने कहा कि राम लाल जी ने गुरुमंत्र दिया है कि हमेशा जिज्ञासा रखनी चाहिए ताकि निरंतर प्रगति होती रहे। उन्होंने विद्यार्थियों को सकारात्मक रहने का गुरुमंत्र दिया। दीक्षांत समारोह दीक्षा का अंत नहीं है, बल्कि छोटी जगह से निकलकर विद्यार्थी बड़ी जगह जा रहे हैं। इसी मानसिकता के साथ आगे बढ़ना है।

देश की हर समस्या का हल राष्ट्रवाद
प्रतिकुलाधिपति डॉ अशोक कुमार अग्रवाल ने कहा मुख्य अतिथि से काफी कुछ सीखा। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को जिस संस्थान से डिग्री मिली उसको याद करें, अपने शिक्षकों का आदर करें। हिंदुस्तान की सारी समस्याओं का हल राष्ट्रवाद है। क्योंकि देश जातिवाद और भाषावाद में बंट चुका है। इससे बाहर निकलने का रास्ता राष्ट्रवाद है।

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