Kanpur: झांसी मेडिकल कॉलेज में आग के बाद हैलट में परखी गई व्यवस्था, अब एसएनसीयू के सामने बनेंगे दो गेट
कानपुर, अमृत विचार। झांसी मेडिकल कॉलेज में आग लगने से 10 बच्चों की जलकर मौत हो गई, इस घटना का वीडियो देखकर लोगों के रोगटे खड़े हो गए। ऐसी घटना कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज से संबंधित अस्पतालों में न हो सके, इसलिए शनिवार को कॉलेज के प्राचार्य ने हैलट के प्रमुख अधीक्षक व कैंपस प्रभारी के साथ आईसीयू, एनआईसीयू व पीआईसीयू का निरीक्षण किया, जिस दौरान उन्होंने कई सुझाव दिए और जल्द से जल्द उसपर काम पूरा करने के निर्देश दिए।
झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में स्थित एनआईसीयू में शुक्रवार रात लगी भीषण आग कई परिवारों को जिंदगी भर का गम दे गई। कॉलेज में जिस समय आग लगनी शुरू हुई थी, उस समय पूरे वॉर्ड में ऑक्सीजन चालू थी। ऑक्सीजन ने तुरंत आग पकड़ी और एक के बाद एक कई धमाकों से आग फैलती चली गई, जिसमे 10 बच्चों की जलकर मौत हो गई। एक वार्ड ब्वाय ने अग्निश्मन यंत्र से आग बुझाने का काम प्रयास किया, लेकिन वह पूरी तरह काम नहीं आ सका।
इस तरह की हृदयविरक घटना जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में न घटित हो सके, इसलिए प्राचार्य प्रो.संजय काला और हैलट अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक डॉ.आरके सिंह ने टीम साथ मिलकर बाल रोग विभाग के एनआईसीयू का निरीक्षण किया। दोनों अधिकारियों ने यहां पर अग्निशमन यंत्रों का देखा, उसके बाद निकास व बाहर निकलने वाले द्वार देखे। प्राचार्य ने संबंधित अधिकारी को निर्देश दिए कि एनआईसीयू की जो खिड़कियां (जाली टाइप) दीवार से पूरी तरह लॉक कर दी गई हैं, उन्हें सही करें।
उसकी जगह पर खिड़कियों में ऐसी व्यवस्था की जाए, कि वह खुल भी सके। इसके बाद उन्होंने एनआईसीयू के सामने बंद गेट को खोलने और उसका चौड़ीकरण कराने को कहा। इसके साथ पास में ही एक तीसरा गेट बनाने के निर्देश दिए। ताकि किसी भी प्रकार की आपदा आने पर निकासी के लिए परेशानी न हो सके।
जीएसवीएम से डॉक्टरों की टीम गई झांसी
झांसी मेडिकल कॉलेज में भीषण अग्निकांड होने की जानकारी पर जीएसवीएम के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. यशवंत राव टीम के साथ झांसी गए। एंबुलेंस से छह वार्मअप मशीन और वाई पाइप भी मदद के लिए कॉलेज प्रशासन ने भेजे है।
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो.संजय काला ने बताया कि नवजात शिशु को जन्म के बाद वार्मअप मशीन की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। इस मशीन में रखकर बच्चों के शरीर का तापमान संतुलित किया जाता है।
इसके अलावा कभी-कभी बच्चों में ऑक्सीजन की कमी होने के कारण उन्हें वाई पाइप की जरूरत भी पड़ती है। इसलिए कॉलेज से छह वार्मअप मशीन व दो वाई पाइप एक एंबुलेंस से रवाना किया गया है। झांसी कॉलेज की मदद में जीएसवीएस कॉलेज पूरी तरह से तैयार है। यदि ऊपर से किसी डॉक्टर या अन्य किसी उपकरण की मांग जाती है तो वह उपलब्ध कराई जाएगी। हमारी प्राथमिकता पहले बच्चों की जान बचाना है।
हैलट के आईसीयू में है दौ सौ बेड की सुविधा
हैलट अस्पताल की मेडिसिन इमरजेंसी में डॉक्टर व नर्स के रूम में वर्ष 2017 में आग लग गई थी। हालांकि इस आग को अग्निश्मन यंत्रों की मदद से काबू पा लिया गया था। वर्तमान में हैलट में दो सौ बेड की सुविधा है, सुरक्षा के लिहाज से परिसर में अग्निशमन यंत्र लगे हैं और कई जगहों पर कंपनी द्वारा फायर सेफ्टी का कार्य भी किया जा रहा है।
अस्पताल में फायर सेफ्टी का काम वही कंपनी कर रही है, जो बीते चार सालों से हैलट अस्पताल में बर्न वार्ड की यूनिट नहीं बना सकी है। हालांकि अस्पताल परिसर में कई जगहों पर फायर से बचाव संबंधित कार्य हो चुका है। इसके साथ ही वार्डों में कार्य जारी है। लेकिन कंपनी अभी तक कार्य पूरा कर रिपोर्ट कॉलेज प्रशासन को नहीं दे सकी है।