Bareilly: रामायण वाटिका में स्थापित होगी श्रीराम की 51 फुट ऊंची प्रतिमा, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बनाने वाले मूर्तिकार बनाएंगे

Bareilly: रामायण वाटिका में स्थापित होगी श्रीराम की 51 फुट ऊंची प्रतिमा, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बनाने वाले मूर्तिकार बनाएंगे
फाइल फोटो

बरेली, अमृत विचार : स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बनाने वाले पद्म भूषण और पद्मश्री से सम्मानित मूर्तिकार रामसुतार बीडीए की रामगंगानगर कॉलोनी में श्रीराम की प्रतिमा बनाएंगे। इस आवासीय परियोजना में करीब 33 हजार वर्गमीटर क्षेत्रफल में विकसित की जा रही रामायण वाटिका में यह प्रतिमा स्थापित करने पर साढ़े नौ करोड़ रुपये लागत आएगी। वाटिका में उन वृक्षों को भी विकसित किए जाने की योजना है जिनका राम के वनगमन के पथ पर होने का उल्लेख धर्मग्रंथों में है। बीडीए अफसर दावा कर रहे हैं कि यह रामायण वाटिका आने वाले समय में उत्तर भारत में विशेष आकर्षण का केंद्र बनेगी।

बीडीए अपने ड्रीम प्रोजेक्ट रामगंगा नगर में रामायण वाटिका का विकास कुछ इस तरह करने में जुटा हुआ है ताकि यहां आने वालों के मन में भगवान श्रीराम के जीवन से जुड़े तमाम प्रसंगों की कल्पना साकार हो जाए। इसके लिए इसमें अलग-अलग तरह की मूर्तियों के साथ दीवारों पर भगवान राम के जीवन से संबंधित प्रसंगों को उकेरा जा रहा है। इसमें उनके चित्रकूट, दण्डकारण्य, पंचवटी, माता सबरी आश्रम, किष्किन्धा, अशोक वाटिका, पंपा सरोवर भ्रमण जैसे प्रसंग प्रमुख हैं।

रामायण वाटिका का सबसे प्रमुख आकर्षण मर्यादा पुरुषोत्तम की 51 फुट ऊंची कांसे की प्रतिमा होगी जिसमें उनके वनवासी रूप के दर्शन होंगे। बीडीए ने यह प्रतिमा अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त मूर्तिकार रामसुतार से बनवाने का निर्णय लिया है।

182 मीटर ऊंचा है स्टैच्यू ऑफ यूनिटी
पद्मश्री रामसुतार की बनाई सबसे ऊंची प्रतिमा स्टैच्यु ऑफ यूनिटी है जो गुजरात के भरूच में स्थापित की गई है। देश के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की यह प्रतिमा 182 मीटर ऊंची है। रामसुतार की बनाई दूसरी 45 फुट ऊंची प्रतिमा चंबल देवी की है जो मध्यप्रदेश के गंगासागर बांध में स्थापित है। इसके अलावा उन्होंने अमृतसर में महाराजा रणजीत सिंह की 21 फुट, संसद भवन में सरदार वल्लभभाई पटेल की 18 फुट और जम्मू में भीमराव आंबेडकर की नौ फुट ऊंची प्रतिमा का निर्माण किया है।

रामगंगा नगर योजना में स्थापित रामायण वाटिका में श्रीराम की प्रतिमा लगने से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। इस संकल्पना का मुख्य उद्देश्य है कि प्राचीन दुर्लभ वृक्षों, वनस्पतियों और पर्यावरण के संरक्षण के साथ वर्तमान और भावी पीढ़ी को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के जीवन और भारतीय संस्कृति के विभिन्न आयामों से परिचित कराया जाए- मडिकंडन ए, बीडीए उपाध्यक्ष।

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