नैनीताल: जामा मस्जिद पर सोशल मीडिया के भ्रामक प्रचार को लेकर मुस्लिम समुदाय का विरोध, प्रशासन से कार्रवाई की मांग
नैनीताल, अमृत विचार। नैनीताल की ऐतिहासिक जामा मस्जिद के खिलाफ सोशल मीडिया पर किए जा रहे भ्रामक प्रचार को लेकर मुस्लिम समुदाय में रोष है। इस मामले में समाजसेवी हामिद अली और अंजुमन इस्लामिया कमेटी ने प्रशासन से सख्त कार्रवाई की अपील की है। उनका कहना है कि इस तरह का दुष्प्रचार न केवल मुस्लिम समुदाय को निशाना बना रहा है, बल्कि इससे नगर की शांति और आपसी सौहार्द को भी खतरा हो सकता है।
सोशल मीडिया पर हाल ही में वायरल हुई एक खबर में दावा किया गया था कि नैनीताल की जामा मस्जिद, जिसे ऐतिहासिक और प्रमुख धार्मिक स्थल माना जाता है, का कोई ऐतिहासिक रिकॉर्ड नहीं मिलता। यह खबर 5 नवंबर 2024 को सोशल मीडिया पर फैलने के बाद नगर में हलचल मच गई। वायरल खबर में कहा गया कि मस्जिद से संबंधित कोई भी अभिलेख नहीं पाया गया है, जबकि यह दावा पूरी तरह से गलत और भ्रामक है।
मस्जिद की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
अंजुमन इस्लामिया कमेटी ने इस खबर को सिरे से खारिज किया है। कमेटी के पदाधिकारियों ने स्पष्ट किया कि नैनीताल की जामा मस्जिद की स्थापना 1882 में हुई थी और यह मस्जिद वक्फ बोर्ड में पंजीकृत है, जिसका वक्फ संख्या 32 है। अंजुमन इस्लामिया ने जिलाधिकारी को एक ज्ञापन सौंपते हुए बताया कि नगर के सभी धार्मिक स्थलों और भवनों के अभिलेख संबंधित विभाग में सुरक्षित हैं, जिन्हें आवश्यकतानुसार देखा जा सकता है।
पहले भी हो चुका है दुष्प्रचार
यह पहली बार नहीं है जब जामा मस्जिद के खिलाफ सोशल मीडिया पर गलत जानकारी फैलाई गई हो। इससे पहले 3 अक्टूबर 2024 को 'जनता की आवाज' नामक यूट्यूब चैनल द्वारा मस्जिद के खिलाफ भ्रामक रिपोर्ट प्रसारित की गई थी, जिसमें मस्जिद की स्थापना और इसके ऐतिहासिक महत्व को लेकर गलत जानकारी दी गई थी। इस खबर के प्रसारित होने के बाद मुस्लिम समुदाय में नाराजगी और गुस्से की लहर उठी थी और अंजुमन इस्लामिया ने प्रशासन को पत्र लिखकर मामले की कड़ी निंदा की थी।
सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने की अपील
समाजसेवी हामिद अली ने इस मामले को सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने की साजिश करार दिया है। उन्होंने कहा, "यह खबर न केवल झूठी है, बल्कि इसका उद्देश्य नगर की शांति को भंग करना है। इस प्रकार के दुष्प्रचार को रोकने के लिए प्रशासन को सख्त कदम उठाने चाहिए।"
अंजुमन इस्लामिया और मुस्लिम समाज ने प्रशासन से अपील की है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच की जाए और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए। हामिद अली ने कहा कि नैनीताल एक शांतिपूर्ण और विविधताओं से भरपूर नगर है, जहां सभी धर्मों के धार्मिक स्थलों का समान सम्मान किया जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रकार के झूठे और भ्रामक प्रचार से नगर की शांति और सौहार्द को कोई भी क्षति नहीं पहुंचने दी जाएगी।
शांति और सौहार्द बनाए रखने की जिम्मेदारी
अंजुमन इस्लामिया कमेटी ने यह भी कहा कि इस मामले में पारदर्शिता से जांच होनी चाहिए और सभी धार्मिक समुदायों के बीच सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाए रखना हम सभी की जिम्मेदारी है। उन्होंने प्रशासन से उम्मीद जताई कि वे इस मुद्दे को गंभीरता से लेकर शीघ्र कार्रवाई करेंगे, ताकि नगर में शांति और समरसता बनी रहे।
यह भी पढ़ें - देहरादून: सरकार का बड़ा तोहफा: 124 डॉक्टरों को वेतन बढ़ोतरी, एसडीएसीपी योजना से मिलेगा लाभ