Bareilly: डायबिटीज टाइप- 1 की चपेट में आ रहे हैं बच्चे, जान लें लक्षण
बरेली, अमृत विचार : जिला अस्पताल के एनसीडी क्लिनिक में डायबिटीज से ग्रसित पांच से 18 साल तक की उम्र के बच्चों की संख्या 10 प्रतिशत तक पहुंच गई है। यह आंकड़ा डायबिटीज के भयावह होते दायरे की ओर इशारा कर रहा है। अनापशनाप खानपान और शारीरिक गतिविधियों की शून्यता की वजह से टाइप- 1 डायबिटीज ने तमाम बच्चों को इस हद तक पहुंचा दिया है कि उन्हें नियमित रूप से दवाएं लेनी पड़ रही हैं।
एनसीडी क्लिनिक के प्रभारी डॉ. मयंक के अनुसार उनके यहां हर महीने आने वाले सौ में 5 से 10 तक बच्चे टाइप- 1 डायबिटीज से ग्रसित होते हैं। हालांकि क्लिनिक में उनके इलाज के लिए पर्याप्त दवाओं के साथ इंसुलिन की डोज तक उपलब्ध हैं लेकिन डायबिटीज पीड़ित बच्चों की संख्या लगातार बढ़ना काफी चिंताजनक है।
यह स्थिति साफ तौर पर दर्शा रही है कि बड़ों के साथ बच्चे भी संतुलित आहार और शारीरिक गतिविधियों की कमी से रोगी बन रहे हैं। यह बीमारी पैदा होने के प्रमुख कारणों में परिवार में उसकी हिस्ट्री, अनियमित जीवनशैली, फास्ट फूड का इस्तेमाल और मानसिक तनाव भी शामिल है। ऐसे रोगियों को अपनी ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर और लिपिड प्रोफाइल की नियमित रूप से जांच कराते रहना बहुत जरूरी है।
बहुत भारी पड़ती है अनदेखी
वरिष्ठ फिजिशियन डाॅ. सुदीप सरन भी मानते हैं कि डायबिटीज के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। वह कहते हैं कि यह बीमारी काफी खतरनाक है। कई बार तो रोगी के शरीर में बनने वाला छोटा अल्सर भी उनका अंग काटने की नौबत तक पहुंचा देता है। इसमें शुरुआती लक्षण नहीं दिखते हैं। बढ़े हुए ब्लड प्रेशर की अनदेखी भी नुकसानदायक हो सकती है। इससे गुर्दे तक फेल हो सकते हैं। अनियंत्रित डायबिटीज से हार्ट अटैक, दिमाग की नस फटना जैसी आशंकाएं 10 फीसदी तक बढ़ जाती हैं।
यह हैं लक्षण : बार-बार पेशाब आना और अत्यधिक मात्रा में लगना, भूख और प्यास भी बार-बार लगना, थकान-नींद और सुस्ती बनी रहना, वजन का तेजी से बढ़ना।
यह एहतियात जरूरी: रोगी को अपना ब्लड शुगर नियंत्रित रखना चाहिए, पैरों पर नजर रखें, नंगे पांव न चलें और चोट न लगने दें, नरम तलवे के जूते-चप्पल पहनें, घाव न सूखने पर डॉक्टर की सलाह लें।
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