उत्तराखंड सरकार की रिपोर्ट में गंगा नदी के प्रदूषण पर चौंकाने वाला खुलासा, नदियों के उद्गम स्थल भी हैं प्रदूषित
देहरादून, अमृत विचार। उत्तराखंड सरकार द्वारा राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) को प्रस्तुत की गई ताज़ा रिपोर्ट में गंगा नदी के प्रदूषण की एक गंभीर तस्वीर सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार, न केवल गंगा के प्रमुख इलाकों, बल्कि नदी के उद्गम स्थल भी अब दूषित हो चुके हैं, जहां से स्वच्छ जल का प्रवाह शुरू होता था। यह खुलासा बेहद चौंकाने वाला है, क्योंकि गंगा नदी को 'नदी माँ' के रूप में पूजा जाता है और इसके प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार और पर्यावरण संगठन लगातार प्रयास कर रहे हैं।
गंगा नदी के प्रदूषण का विस्तार:
उत्तराखंड सरकार की रिपोर्ट में बताया गया है कि गंगा नदी के उद्गम स्थल, यानि योगध्यान से लेकर ऋषिकेश और हरिद्वार जैसे क्षेत्रों में भी सीवेज और अन्य अवशिष्ट जल मिल रहा है। इन इलाकों में जहां पहले गंगा का जल अत्यंत शुद्ध माना जाता था, वहीं अब इन स्थलों पर भी गंदे पानी का जमाव हो रहा है, जिससे नदी के पानी की गुणवत्ता में खासी गिरावट आई है।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि गंगा के किनारे बसे कई शहरों और गांवों में सीवेज नालियों का जल सीधे नदी में गिरता है। विशेष रूप से धार्मिक नगरी हरिद्वार और ऋषिकेश में यह समस्या गंभीर रूप से देखी जा रही है। ये क्षेत्र न केवल पर्यावरणीय दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि लाखों श्रद्धालुओं के लिए पवित्र भी हैं।
NGT को रिपोर्ट में क्या जानकारी दी गई:
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) को प्रस्तुत की गई रिपोर्ट में उत्तराखंड सरकार ने बताया कि राज्य के विभिन्न हिस्सों में गंगा के पानी में औद्योगिक और घरेलू सीवेज का मिश्रण बढ़ रहा है। गंगा के प्रदूषण को लेकर किए गए पूर्व में किए गए प्रयासों के बावजूद, नदी की स्थिति में कोई विशेष सुधार नहीं हुआ है।
रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य के विभिन्न हिस्सों में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स की कमी और अवैध कूड़ा फेंकने के कारण गंगा का पानी अत्यधिक प्रदूषित हो चुका है। इसके अलावा, नदी किनारे के कुछ क्षेत्रों में अवैध खनन और निर्माण कार्य भी जल के प्रदूषण का एक बड़ा कारण बन रहे हैं।
गंगा की सफाई के लिए आगामी कदम:
गंगा नदी की सफाई और इसके संरक्षण के लिए केंद्र और राज्य सरकार दोनों ने कई योजनाएं बनाई हैं। उत्तराखंड सरकार ने गंगा के प्रदूषण को रोकने के लिए विशेष कार्य योजना तैयार की है, जिसमें सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स का निर्माण और जल शोधन के लिए नई तकनीकों का इस्तेमाल शामिल है। इसके अलावा, नदियों के आसपास जल निकासी के प्रबंधन को बेहतर बनाने के लिए भी उपायों पर ध्यान दिया जाएगा।
सरकार और पर्यावरण संगठनों द्वारा लगातार यह प्रयास किया जा रहा है कि गंगा नदी का जल शुद्ध और प्रदूषणमुक्त रहे, ताकि यह न केवल वर्तमान पीढ़ी के लिए, बल्कि भविष्य के लिए भी जीवनदायिनी बनी रहे।
NGT का अगला कदम:
एनजीटी ने इस रिपोर्ट के बाद राज्य सरकार से विस्तृत योजना की मांग की है और प्रदूषण कम करने के लिए सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं। साथ ही, केंद्रीय और राज्य स्तर पर तालमेल बढ़ाने के लिए आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया है। यह खुलासा एक गंभीर चेतावनी है और गंगा नदी के प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए अब और तेज और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है।
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