Kanpur: 5 अप्रैल को मनाई जाएगी महाष्टमी; यहां जानें... अष्टमी व रामनवमी पर हवन का शुभ मुहूर्त और सारी जानकारी

Kanpur: 5 अप्रैल को मनाई जाएगी महाष्टमी; यहां जानें... अष्टमी व रामनवमी पर हवन का शुभ मुहूर्त और सारी जानकारी

कानपुर, अमृत विचार। नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि की अष्टमी व नवमी तिथि में कन्या पूजन व हवन का विशेष महत्व है। कुछ लोग अष्टमी को हवन करते हैं और कुछ लोग नवमी को हवन करते हैं।  नवरात्रि में हवन व कन्या पूजन के बाद ही व्रत के पूर्ण फल की प्राप्ति होती है। इस साल चैत्र नवरात्रि की महाष्टमी 5 अप्रैल 2025, शनिवार को है। रामनवमी 6 अप्रैल 2025, रविवार को मनाई जाएगी। 

अष्टमी पर हवन के शुभ मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त- 04:35 ए एम से 05:21 ए एम
प्रातः सन्ध्या- 04:58 ए एम से 06:07 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 11:59 ए एम से 12:49 पी एम
विजय मुहूर्त- 02:30 पी एम से 03:20 पी एम

राम नवमी पर हवन का शुभ मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त- 04:34 ए एम से 05:20 ए एम
प्रातः सन्ध्या- 04:57 ए एम से 06:05 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 11:58 ए एम से 12:49 पी एम
विजय मुहूर्त- 02:30 पी एम से 03:20 पी एम

हवन सामग्री: हवन के लिए हवन कुंड, पंचमेवा, आम की लकड़ी, आम के पत्ते, सूखा नारियल,  शहद, चंदन की लकड़ी, कलावा, घी, फूल, कपूर, अक्षत, पान के पत्ते, गाय का घी, सुपारी, लौंग, नवग्रह की लकड़ी,हवन सामग्री(तिल, जौ,चावल,पंचमेवा,चीनी या गुड) आदि शामिल करना चाहिए।

हवन विधि- सबसे पहले एक साफ स्थान पर हवन कुंड स्थापित करें। हवन कुंड पर स्वास्तिक बनाकर कलावा बांधें। आम की लकड़ियों और कपूर को प्रज्वलित करें। घी, हवन सामग्री जैसे जौ, चावल, तिल आदि से मंत्रों के साथ आहुति दें। पूर्ण आहुति में नारियल में घी, पान, सुपारी, लौंग, जायफल व प्रसाद भरकर हवन कुंड में समर्पित करें। हवन के बाद भगवान गणेश व मां दुर्गा की आरती करें।

हवन मंत्र-

ऊं आग्नेय नम: स्वाहा
ऊं गणेशाय नम: स्वाहा
ऊं नवग्रहाय नम: स्वाहा
ऊं कुल देवताय नम: स्वाहा
ऊं ब्रह्माय नम: स्वाहा
ऊं विष्णुवे नम: स्वाहा
ऊं शिवाय नम: स्वाहा
ऊं दुर्गाय नम: स्वाहा
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे
ऊं महाकालिकाय नम: स्वाहा
ऊं भैरवाय नम: स्वाहा
ऊं जयंती मंगलाकाली, भद्रकाली कपालिनी।
 दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहास्वधा नमस्तुति स्वाहा।।

ऊं ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च: गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु स्वाहा।
ॐ दुं दुर्गायै नमः स्वाहा।
ॐ श्रीं ह्रीं दुं दुर्गायै नमः स्वाहा।

ॐ दुर्गायै दुर्गपारायै सारायै सर्वकारिण्यै। 
ख्यात्यै तथैव कृष्णायै धूम्रा सततं नमः ।। स्वाहा।

गायत्री मंत्र या दुर्गा जी के बीज मंत्र की 108 आहुतियां दे और अंत में पूर्ण आहुति  व बसोरधारा करके आरती करें।

Note- अपने कुल पुरोहित द्वारा बताए गए समय को प्राथमिकता दे।

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