SEBI का जुर्माना न देने पर वसूली कार्यवाही के दौरान ब्याज में छूट, कमी पर विचार

SEBI का जुर्माना न देने पर वसूली कार्यवाही के दौरान ब्याज में छूट, कमी पर विचार

नई दिल्ली। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सोमवार को जुर्माना अदा करने में विफल रहने पर वसूली कार्यवाही के दौरान ब्याज में छूट या कमी करने पर विचार करने का प्रस्ताव किया है। नियामक ने सुझाव दिया कि प्रस्ताव के तहत छूट या कटौती के लिए आवेदन आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 220(2ए) के तीन मानदंडों की पूर्ति का समर्थन करने वाले दस्तावेजों के साथ किया जा सकता है। 

आवेदन संबंधित वसूली अधिकारी के पास किया जाना चाहिए। धारा 220(2ए) विशिष्ट शर्तों के तहत इस ब्याज में छूट या कमी की अनुमति देती है। इन मानदंडों में ऐसी राशि का भुगतान शामिल है, जिसे चुकाने में आवेदक को वास्तव में कठिनाई हो। इसके अलावा चूक आवेदक के नियंत्रण से परे परिस्थितियों के कारण हुई हो और आवेदक ने जांच में पूरा सहयोग किया हो। 

सेबी ने अपने परामर्श पत्र में सुझाव दिया कि आवेदन को केवल तभी स्वीकार किया जाएगा, जब मांग का नोटिस पहले ही दिया जा चुका हो और देय मूल राशि का पूरा भुगतान किया गया हो। सेबी का वसूली अधिकारी आवेदन को सक्षम प्राधिकारी के पास भेजेगा, जो 12 महीने के भीतर निर्णय लेगा।  

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