कानपुर में छह नाले गंगा में सीधे बहा रहे सीवेज...बायोरेमिडिएशन में कई बार पकड़ी जा चुकी लापरवाही, जुर्माने की भी नहीं परवाह

एनजीटी के गंगाजल आचमन योग्य नहीं होने की पड़ताल में सामने आया सच

कानपुर में छह नाले गंगा में सीधे बहा रहे सीवेज...बायोरेमिडिएशन में कई बार पकड़ी जा चुकी लापरवाही, जुर्माने की भी नहीं परवाह

कानपुर, अमृत विचार। प्रयागराज में महाकुंभ से पहले नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) का यह कहना कि गंगा का पानी आचमन योग्य नहीं है, करोड़ों लोगों की श्रद्धा और विश्वास पर कुठाराघात जैसा है। एनजीटी ने इसका कारण गंगा में सीवेज या दूषित पानी गंगा में बहाया जाना बताया है, जो गंगा सफाई में लापरवाही और भ्रष्टाचार को उजागर करता है। 

शहर के हालात भी इससे जुदा नहीं हैं। 10 बंद किए जा चुके नालों का 100 एमएलडी सीवेज रोज शोधित नहीं हो पाता है, तो जिन 6 नालों को बंद नहीं किया गया है और जैविक शोधन (बायोरेमिडिएशन) के बाद पानी गंगा में भेजने की व्यवस्था की गई है, उनसे गंदा पानी सीधे गंगा में गिर रहा है।   

शहर में टेप नहीं किए गए 6 नालों डब्का, सत्तीचौरा, गोलाघाट, रानीघाट, परमिया और गुप्तारघाट से सीवेज सीधे गंगा में जा रहा है। इसकी वजह हकीकत में कहीं भी बायोरेमिडिएशन का काम नहीं होना है। बायोरेमिडिएशन कार्य में लापरवाही से गंगा के पानी में बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी), रासायनिक ऑक्सीजन डिमांड (सीओडी), कुल निलंबित ठोस (टीएसएस) की मात्रा बढ़ रही है। 

प्रदूषण नियंत्रण विभाग ने कई बार जांच में इसकी पुष्टि की है। इससे गंगा के पानी का शहर में रंग बदल रहा है। जांच में सामने आया है कि इन 6 नालों के पास जैविक शोधन के लिए स्थापित डोजिंग प्लास्टिक टैंक में सीडिंग और माइक्रोबियल कल्चर नहीं डाला जा रहा है जो बायोरेमिडिएशन के लिए जरूरी है। 

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने कई बार इसे पकड़ा है। नगर निगम पर जुर्माना लगाया है, लेकिन स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। क्षेत्रीय अधिकारी, यूपीपीसीबी अमित मिश्रा ने बताया कि समय-समय पर नालों का निरीक्षण करते हैं। कमी मिलने पर संबंधित संस्थाओं को नोटिस देकर जुर्माने की कार्रवाई करते हैं। शहर में गंगा में सीवर गिरना बड़ी मुसीबत है। 

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शहर में खर्च किए जा चुके 1810 करोड़

गंगा को कानपुर में निर्मल बनाने के काम पर 1810 करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके हैं। इंडो डच परियोजना में 166 करोड़, जेएनएनयूआरएम सीवेज योजना-1 में 746 करोड़, जेएनएनयूआरएम सीवेज योजना-2 में 423 करोड़ रुपये खर्च किए गए। नमामि गंगे योजना के तहत सीसामऊ नाला सहित 6 नालों की टैपिंग में 57 करोड़, नवाबगंज से जाजमऊ तक गंगा किनारे 34 वार्डों में पंपिंग स्टेशन बनाने में 418 करोड़ रुपये खर्च किये गए हैं। 

800 करोड़ का ठेका, एफआईआर व जुर्माना

एनएमसीजी ने 3 वर्ष पहले शहर में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटों (एसटीपी) और सीवेज पंपिंग स्टेशनों (एसपीएस) का 15 साल तक रखरखाव और संचालन का ठेका केआरएमपीएल को 800 करोड़ में दिया था। लेकिन पंप खराब होने की वजह से सीसामऊ नाले से ही कई दिन करोड़ों लीटर सीवेज गंगा में गिरता रहा। एसपीएस के रखरखाव में भी कंपनी ने घोर लापरवाही दिखाई। इसे लेकर एफआईआर, जुर्माने की कार्रवाई हुई लेकिन कंपनी काम पर डटी हुई है।

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