बेसिक शिक्षा: 27 हजार परिषदीय स्कूलों के बंद होने वाले फैसले पर रोक, सियासत गरमायी तो महानिदेशक ने जारी किया बयान

बेसिक शिक्षा: 27 हजार परिषदीय स्कूलों के बंद होने वाले फैसले पर रोक, सियासत गरमायी तो महानिदेशक ने जारी किया बयान

अमृत विचार, लखनऊ: उत्तर प्रदेश में 27 हजार प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों को बंद करने के फैसले पर सोमवार को रोक लग गई। इस मुद्दे पर सियासत तेज होने के बाद बेसिक शिक्षा विभाग की महानिदेशक कंचन वर्मा ने इसका खंडन कर दिया। उन्होंने कहा कि स्कूलों को बंद करने की खबरें अफवाह है। इस तरह का कोई भी निर्देश अभी तक जारी नहीं किया गया है।

छात्र संख्या के आधार पर स्कूलों के वियल की प्रक्रिया को लेकर काफी समय से बैठकें चल रही हैं। शिक्षक संघ इसका विरोध भी कर रहे हैं। इसी बीच बसपा प्रमुख मायावती ने भी सरकार के इस फैसले का विरोध करते हुए रविवार को सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अपना बयान जारी किया था। सोमवार को कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी भी इसे लेकर सरकार पर हमलावर हो गईं। उन्होंने एक्स पर लिया कि उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ने 27,764 प्राइमरी और जूनियर स्कूलों को बंद करने का फैसला लिया है। यह कदम शिक्षा क्षेत्र के साथ-साथ दलित, पिछड़े, गरीब और वंचित तबकों के बच्चों के खिलाफ है। यूपीए सरकार शिक्षा का अधिकार कानून लाई थी जिसके तहत व्यवस्था की गई थी कि हर एक किलोमीटर की परिधि में एक प्राइमरी विद्यालय हो ताकि हर तबके के बच्चों के लिए स्कूल सुलभ हो। कल्याणकारी नीतियों और योजनाओं का मकसद मुनाफा कमाना नहीं बल्कि जनता का कल्याण करना है। भाजपा नहीं चाहती कि कमजोर तबके के बच्चों के लिए शिक्षा सुलभ हो। प्रियंका के इस बयान के कुछ देर बाद ही डीजी कंचन वर्मा ने बयान जारी किया। उन्होंने लिखा है कि 'कतिपय समाचार माध्यमों में प्रकाशित खबर जिसमे 27000 प्राथमिक विद्यालयों को निकटवर्ती विद्यालयों में विलय करते हुए बंद करने की बात की गई है बिल्कुल भ्रामक एवं निराधार है। किसी भी विद्यालय को बंद  किए जाने की कोई प्रक्रिया गतिमान नहीं है'। 

मायावती ने कहा था सरकार की नाकामी है

रविवार को बसपा प्रमुख मायावती ने कहा था 'यूपी सरकार द्वारा 50 से कम छात्रों वाले बदहाल 27,764 परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में जरूरी सुधार करके उन्हें बेहतर बनाने के उपाय करने के बजाय उनको बंद करके उनका दूसरे स्कूलों में विलय करने का फैसला उचित नहीं। ऐसे में गरीब बच्चे आखिर कहाँ और कैसे पढ़ेंगे?' बसपा सुप्रीमो ने कहा, 'यूपी व देश के अधिकतर राज्यों में खासकर प्राइमरी व सेकेंडरी शिक्षा का बहुत ही बुरा हाल है जिस कारण गरीब परिवार के करोड़ों बच्चे अच्छी शिक्षा तो दूर सही शिक्षा से भी लगातार वंचित हैं। ओडिसा सरकार द्वारा कम छात्रों वाले स्कूलों को बंद करने का भी फैसला अनुचित है। उन्होंने कहा, 'सरकारों की इसी प्रकार की गरीब व जनविरोधी नीतियों का परिणाम है कि लोग प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाने को मजबूर हो रहे हैं, जैसाकि सर्वे से स्पष्ट है, किन्तु सरकार द्वारा शिक्षा पर समुचित धन व ध्यान देकर इनमें जरूरी सुधार करने के बजाय इनको बंद करना ठीक नहीं है।

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