सेवा की गलत समाप्ति के मामले में बकाया वेतन के साथ बहाली सामान्य नियम: हाईकोर्ट

सेवा की गलत समाप्ति के मामले में बकाया वेतन के साथ बहाली सामान्य नियम: हाईकोर्ट

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम द्वारा एक बस कंडक्टर को बर्खास्त करने के मामले में दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि विपक्षी की बहाली के बारे में श्रम न्यायालय के फैसले में किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि सेवा की गलत समाप्ति के मामलों में सेवा की निरंतरता और बकाया वेतन के साथ बहाली सामान्य नियम है।

अतः कोर्ट ने यूपीआरटीसी की याचिका आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए श्रम न्यायालय के फैसले को संशोधित कर बकाया वेतन को 80% से घटाकर 60% कर दिया यानी याची/विभाग को विपक्षी की बर्खास्तगी की तारीख से 60% बकाया वेतन के साथ सेवा में पुनः बहाल करने का निर्देश दिया। उक्त आदेश न्यायमूर्ति चंद्र कुमार राय की एकलपीठ ने यूपीआरटीसी की याचिका स्वीकार करते हुए पारित किया। मामले के अनुसार विपक्षी (श्री राम प्रकाश) एक बस कंडक्टर है, जिसे यूपीआरटीसी के एक अधिकारी द्वारा निरीक्षण के दौरान आरोप-पत्र जारी कर बर्खास्त कर दिया गया।

निरीक्षण में पाया गया कि कुछ यात्री जयपुर से अजमेर तक बिना टिकट यात्रा कर रहे थे, जिनके खिलाफ विपक्षी ने कोई अनुशासनात्मक कार्यवाही नहीं की। हालांकि विपक्षी ने आरोपी से इनकार करते हुए अपने जवाब में स्पष्ट किया कि उसकी बस को टोल प्लाजा पर रोका गया था और वह टिकट बनाने की प्रक्रिया में था, लेकिन उसके जवाब पर विचार किए बिना कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया और अनुशासनात्मक प्राधिकारी ने उसे सेवा से बर्खास्त कर दिया।

विपक्षी ने श्रम न्यायालय में औद्योगिक विवाद दाखिल किया, जिसमें माना गया कि विभागीय जांच अनुचित थी और इसमें प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन किया गया। इसके साथ ही श्रम न्यायालय ने विपक्षी को बर्खास्तगी की तारीख से 80% बकाया वेतन के साथ बहाल करने का निर्देश दिया, जिसे चुनौती देते हुए यूपीआरटीसी ने हाई कोर्ट में वर्तमान याचिका दाखिल की।

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