प्रयागराज :  सार्वजनिक रोजगार से वंचित करने के लिए यांत्रिक दृष्टिकोण अपनाना अनुचित

प्रयागराज :  सार्वजनिक रोजगार से वंचित करने के लिए यांत्रिक दृष्टिकोण अपनाना अनुचित

अमृत विचार, प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सफल उम्मीदवारों को सार्वजनिक रोजगार से वंचित करने में यांत्रिक दृष्टिकोण अपनाने की प्रवृत्ति की आलोचना करते हुए कहा कि 1958 के शासनादेश के पीछे की नीति आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों को सार्वजनिक सेवा में प्रवेश करने से रोकती है, ना कि उन योग्य उम्मीदवारों को बाहर करना जो वैवाहिक कलह के कारण उत्पन्न शिकायत में उलझे हुए हैं।

कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि किसी उम्मीदवार को  सार्वजनिक रोजगार से वंचित करने का आधार पारिवारिक विवाद नहीं बल्कि नैतिक अधमता से जुड़े गंभीर अपराध होने चाहिए। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि सार्वजनिक रोजगार एक तेज गति वाली प्रक्रिया है, जिसे हासिल करने के अवसर उम्र के साथ कम होते जाते हैं। किसी उम्मीदवार से यह अपेक्षा करना उचित नहीं है कि वह अपना अवसर छोड़ वर्षों तक मुकदमे की समाप्ति का इंतजार करता रहे। उक्त आदेश न्यायमूर्ति जे जे मुनीर की एकलपीठ ने बाबा सिंह की याचिका को स्वीकार करते हुए पारित किया, जिसमें याची ने उत्तर प्रदेश के लघु सिंचाई विभाग में सहायक बोरिंग टेक्नीशियन के रूप में उनकी नियुक्ति को अस्वीकार करने के आदेश को चुनौती दी थी।

मालूम हो कि वर्ष 2019 में उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने सहायक बोरिंग तकनीशियनों की भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया। याची ने जुलाई 2022 में चयन के लिए आयोजित प्रतियोगी परीक्षा उत्तीर्ण कर ली और चयन सूची में क्रमांक 108 पर स्थान प्राप्त किया। दस्तावेज सत्यापन के दौरान उनके खिलाफ एक आपराधिक मामला लंबित होने के कारण उन्हें नियुक्ति से वंचित कर दिया गया। याची के भाई की पत्नी द्वारा आईपीसी और दहेज निषेध अधिनियम के तहत याची के खिलाफ मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज कराया गया था। कोर्ट ने मामले पर विचार करते हुए पाया कि वैवाहिक विवादों में सामान्य आरोपों के आधार पर उम्मीदवार की किसी भी ठोस भागीदारी के बिना उसे रोजगार से वंचित करना 1958 के शासनादेश का उल्लंघन है।

कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि जिला मजिस्ट्रेट, मिर्जापुर को डाकघर के रूप में कार्य नहीं करना चाहिए। उन्हें स्वतंत्र रूप से आकलन कर उम्मीदवार के आपराधिक इतिहास को देखकर उसे पद के लिए अयोग्य ठहरना चाहिए। इस तरह की यांत्रिक अस्वीकृति सार्वजनिक सेवा भर्ती में निष्पक्षता और समान अवसर के सिद्धांतों से समझौता है। अंत में कोर्ट ने मुख्य अभियंता, लघु सिंचाई विभाग द्वारा जारी अस्वीकृति आदेश को रद्द करते हुए उन्हें एक महीने के भीतर याची के मामले पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया।

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