बरेली: हाईटेक चोरों का तांडव...मिनटों में चुराते थे कार, पांच लाख की मशीन से हैक करते कार का सेंसर

बरेली: हाईटेक चोरों का तांडव...मिनटों में चुराते थे कार, पांच लाख की मशीन से हैक करते कार का सेंसर

बरेली, अमृत विचार: जिला बरेली शातिर अपराधियों के निशाने पर है। पुलिस ने एक ऐसे स्मार्ट-सफेदपोश गैंग का पर्दाफाश किया है, जो आधुनिक तरीके सीखकर चोरियों को अंजाम दे रहा था। हैकिंग और इलेक्ट्रॉनिक चीज के जरिये चोरियां करता था। ये गिरोह इतने शातिराना तरीके से चोरियां करता था कि अगर कभी पुलिस के झमेले में फंस भी जाए तो उससे बचने का तोड़ भी निकाल रखा था। 

चोरों का एक सदस्य मेडिकल फील्ड से जुड़ा है। जो चोरियां करने के बाद गैंग के सारे सदस्यों का अस्पताल में भर्ती होने का पर्चा बनवाया करता था। इस तरह चोरों का एक अंतर्राज्यीय संगठित गिरोह बरेली में चोरियां करके मौज काट रहा था। एक घटना के बाद पुलिस ने इनके पैर्टन को समझकर पड़ताल की तो ये गिरोह उसके हत्थे चढ़ गया। पुलिस ने गैंग के पांच सदस्यों को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया, लेकिन इस गिरोह की जड़ों की पड़ताल अभी जारी है। 

बरेली के एसपी सिटी मानुष पारीक, सीओ सिटी पंकज श्रीवास्तव ने इस गिरोह का खुलासा करते पांचों चोरों की जानकारी शेयर की है। इसमें अलीगढ़ के मोहनपुर थाना अकराबाद निवासी लविश चौधरी उर्फ शेरा, बरेली के आशीष रॉयल पार्क निवासी भगवंत सिंह, बदायूं के बिल्सी थाना क्षेत्र के गांव सिरासौल पट्टी जसा निवासी जतिन वर्मा, समीर वर्मा और प्रवेश वर्मा-सेठी उर्फ लाला उर्फ गुरु शामिल है। बेहरूपिये की तरह कई नामों से चर्चित गुरू, जिसका असली नाम प्रवेश वर्मा ही है, वही गिरोह का सरदार है। 

जतिन और समीर गुरु के भतीजे हैं। आरोपियों की निशानदेही पर पुलिस ने दिल्ली से चुराई हुईं तीन कारें, सेंसर को हैक करने वाली पांच लाख रुपये की मशीन लॉक तोड़ने और चाभी बनाने वाले उपकरण बरामद किए हैं। इनके पास से दो तमंचे और कारतूस भी मिले हैं।

दरअसल, ये चोर सेंसर वाली इलेक्ट्रॉनिक गाड़ियां चुराया करते था। हाईटेक मशीन से सेंसर हैक कर लेते और आसानी से लॉक खोलकर कार लेकर फरार हो जाते थे। पुलिस की पकड़ में न आएं, इसलिए यूपी से चुराई कारों को दिल्ली और दिल्ली से चुराई कारों को यूपी में बेचते थे। इसी गिरोह ने शहर की पॉश कॉलोनी रामपुर गार्डन से भी छह अक्तूबर को दो कारें चुराईं थीं। कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस गिरोह की तलाश में थी। 

पुलिस के मुताबिक, गिरोह के पास एक हाईटेक मशीन थी, जिसे सेंसर वाली कार के आगे पहिये के पास लगा देते थे। हैकिंग एक्सपर्ट अपनी कार में बैठकर मशीन की मदद से कार का सेंसर हैक कर लेता। फिर एक नया सेंसर एक्टिव कर देता। नए सेंसर से एक ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) जनरेट करके इलेक्ट्रॉनिक चाबी बनाने वाले रामपुर गार्डन के भगवंत सिंह को भेजता। भगवंत सिंह ओटीपी के जरिये कार की नई इलेक्ट्रॉनिक चाबी बना देते और इस तरह गिरोह के चोर कार चुराकर गायब हो जाते थे। सेठी सेंसर वाली कारों का कोड बनाने के लिए 40 हजार और सामान्य कारों की चाबी बनाने के 20 हजार रुपये लेते थे। 

छह अक्तूबर को रामपुर गार्डन से दो कारें चोरी हो गई थीं। अगले दिन कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज हुई। पुलिस ने छानबीन शुरू की। यहां के कैमरे खंगाले तो एक-दो आरोपियों के धुंधले चेहरे नजर आए। इसके बाद पुलिस ने रास्तों में लगे कैमरों के फुटेज देखे तो दोनों कारें बदायूं के बिल्सी तक नजर आईं। पुलिस ने बिल्सी जाकर आरोपियों के धुंधले फुटेज दिखाए तो यहां लोगों ने बताया कि ये लोग गुरु के यहां आते-जाते हैं। इसके बाद पुलिस ने सभी को गिरफ्तार कर लिया। 

गुरु का भतीजा जतिन बिल्सी के सरकारी अस्पताल में संविदा कर्मचारी बताया जा रहा है। सीओ प्रथम ने बताया कि जिस दिन ये लोग घटना करते थे, उस दिन जतिन गिरोह के सदस्यों का सीएचसी में पर्चा बनवा लेता था और सभी को अस्पताल में भर्ती दिखा देता था। ताकि अस्पताल का रिकॉर्ड दिखाकर गिरफ्तारी से बचा जा सके। रामपुर गार्डन से भी कारें चुराने के बाद पर्चे बनवाए थे। सीओ सिटी प्रथम पंकज श्रीवास्तव ने बताया कि चोरों से मिलीं कारें दिल्ली की हैं। रामपुर गार्डन से चोरी की गई कारें इन्होंने किसी और जिले में बेच दी हैं। पूछताछ के बाद उन कारों की भी तलाश की जा रही है। गिरोह में कुछ और लोग भी शामिल हो सकते हैं, उनका पता लगाया जा रहा है।

यह भी पढ़ें- बरेली : जंक्शन और एयरपोर्ट के अधिकृत और अवैध टैक्सी चालकों में जंग