World Iodine Deficiency Disorder Prevention Day: आयोडीन की कमी से रुक जाता है गर्भस्थ शिशु के मस्तिष्क का विकास

World Iodine Deficiency Disorder Prevention Day: आयोडीन की कमी से रुक जाता है गर्भस्थ शिशु के मस्तिष्क का विकास

लखनऊ, अमृत विचार: आयोडीन से शरीर स्वस्थ और दिमाग चुस्त बनता है। कार्यक्षमता में बढ़ोतरी होती है। मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाने में आयोडीन की कमी एक अहम कारण है। यह ऐसा सूक्ष्म पोषक तत्व होता है जो कि शरीर में नहीं बनता है बल्कि यह हमें भोजन से ही मिलता है। शरीर में थाइरॉयड हार्मोन का सही से उत्पादन करने के लिए इसकी आवश्यकता पड़ती है साथ ही गर्भाशय के विकास के लिए भी यह आवश्यक है। यह जानकारी एसजीपीजीआई की डायटीशियन डॉ. शिल्पी ने विश्व आयोडीन अल्पता विकार निवारण दिवस के अवसर पर साझा की।

डॉ. शिल्पी ने बताया जिन महिलाओं में आयोडीन की कमी होती है उनमें थायरॉयड की कार्य प्रणाली बाधित होती है, जिसका असर उनके प्रजनन स्वास्थ्य पर पड़ता है। आयोडीन की कमी से बच्चों का मानसिक विकास कमजोर होता है, ऊर्जा में कमी आती है, जल्द थकान आती है। आयोडीन की कमी से घेंघा रोग, हाइपोथायरायडिस्म, गर्भपात, गर्भस्थ शिशु के मस्तिष्क का विकास रुक जाता है। इसके साथ ही बच्चों में बौनापन, गर्भ में ही बच्चे की मृत्यु जैसी समस्याएं होती हैं।

बलरामपुर अस्पताल की डायटीशियन डॉ. फातिमा ने बताया लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से विश्व आयोडीन अल्पता विकार निवारण दिवस हर साल 21 अक्टूबर को मनाया जाता है। आयोडीन मानसिक विकास के लिए, थाइरॉयड का सही तरीके से काम करने और शरीर के सम्पूर्ण विकास के लिए बहुत जरूरी है। इस साल इस दिवस की थीम है ''थाइरॉयड सम्बन्धी बीमारियां गैर संचारी हैं'' यह दुनिया में डायबिटीज के बाद दूसरा सबसे बड़ा एंडोक्राइन डिसऑर्डर है। यदि किसी को थाइरॉयड सम्बन्धी समस्या है तो इसकी दवायें आजीवन पर्यंत चलती हैं और एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित होती हैं।

आयोडीन की कितनी मात्रा का सेवन है जरूरी
डॉ. अर्चना श्रीवास्तव ने बताया कि आयोडीन की कमी से होने वाली बीमारियों से बचाव के लिए सामान्य व्यक्ति को प्रतिदिन 5 ग्राम आयोडीन का सेवन करना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को प्रतिदिन 220 माइक्रोग्राम और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को प्रतिदिन 280 माइक्रोग्राम आयोडीन का सेवन करना चाहिए। इसके आलावा बच्चों में आयोडीन सेवन की मात्रा आयु और वजन के अनुसार निर्धारित होती है। आयोडीन का सबसे सामान्य स्रोत आयोडीनयुक्त नमक है। इसके अलावा डेयरी उत्पाद(चीज, दूध योगर्ट), शकरकंद, प्याज, पालक, मछली, चिकन, बीन्स और समुद्री मछली आदि खाद्य पदार्थों में आयोडीन होता है।

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