हल्द्वानी: ये शख्स लेट गए कफन ओढ़कर...लेकिन क्यों...?

हल्द्वानी: ये शख्स लेट गए कफन ओढ़कर...लेकिन क्यों...?

हल्द्वानी, अमृत विचार। ये शख्स जीवित हैं और कफन ओढ़कर खुद ही लेट गए...और लेटे-लेटे एक संदेश दे रहे हैं...

कफन ओढ़कर, अर्थी पर लेटकर जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण मुक्त ग्रीन सिटी हल्द्वानी के लिए एमबीपीजी के पूर्व प्राध्यापक डॉ सन्तोष मिश्र ने विद्युत शवदाह गृह के प्रयोग के प्रति जनसामान्य को जागरूक किया। आम जनमानस की वर्षों की मांग पर रानीबाग में करोड़ों की लागत से बने विद्युत शवदाह गृह में सिर्फ लावारिश लाशों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है।

हल्द्वानी, काठगोदाम नगर निगम के द्वारा दाह संस्कार निःशुल्क करने के बावजूद लोग इसे अपनाने में हिचक रहे हैं। जबकि शहरों की बढ़ती आबादी और घटते जंगल इस बात के लिए आगाह कर रहे हैं कि हमें परम्परागत साधनों के साथ बिजली और गैस आधारित शवदाह गृहों को यथाशीघ्र अपनाने की आवश्यकता है।

राजधानी दिल्ली सहित देश के सभी बड़े शहरों में वर्षों से इन्हें अन्तिम संस्कार के लिए लोग प्रयोग कर रहे हैं। डॉ मिश्र इससे पहले भी रिश्तों की गर्माहट, आइ बैंक इन हल्द्वानी, देहदान, अंगदान, नेत्रदान जैसे मानवतावादी अभियानों का संचालन करते रहे हैं। 

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